परिषदीय स्कूल में लगे अग्निशमन यंत्र बेमतलब, खतरा
ढ़ने वाले मासूमों की जान खतरे में है। परिषदीय स्कूल हों अथवा प्राइवेट कहीं भी आग से बचाव के लिए लगाए गए अग्निशमन यंत्र कार्य नहीं कर रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में तो इसे देखा जा सकता है लेकिन परिषदीय स्कूलों में एक दो को छोड़ दें तो किसी स्कूल में इसका प्रबंध नहीं है।
सिद्धार्थनगर : पढ़ने वाले मासूमों की जान खतरे में है। परिषदीय स्कूल हों अथवा प्राइवेट, कहीं भी आग से बचाव के लिए लगाए गए अग्निशमन यंत्र कार्य नहीं कर रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में तो इसे देखा जा सकता है, लेकिन परिषदीय स्कूलों में एक दो को छोड़ दें तो किसी स्कूल में इसका प्रबंध नहीं है। वर्ष 2011 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद पांच- पांच हजार रुपये की लागत से खरीदे गए अग्निशमन यंत्र कहां गए, यह बताने वाला कोई नहीं है, वहीं जिम्मेदार विभाग भी बेपरवाह बना हुआ है। उसे यह जांचने की फुर्सत ही नहीं कि जहां उपकरण लगे हैं, वह चल रहे हैं अथवा निष्प्रयोज्य।
डुमरियागंज में 294 प्राथमिक तो 84 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। यहां 10 वर्ष पूर्व विद्यालय विकास अनुदान निधि से आग बुझाने के लिए यंत्र खरीदे गए। निर्देश थे कि विभाग यह जानकारी देगा कि इसका उपयोग कैसे करना है। प्रत्येक छह माह पर रीफिलिग वह जांच का प्रविधान था। लेकिन स्कूलों में जबसे यंत्र लगे कोई जांच पड़ताल नहीं हुई। मौजूदा समय में अधिकतर स्कूलों में खरीदे गए इन यंत्रों का काई पता नहीं है। किसी स्कूल में अगर यह हैं भी तो निष्प्रयोज्य होकर कबाड़खाने की शोभा बढ़ा रहे हैं। माडल प्राइमरी स्कूल चौखड़ा में यंत्र स्टोर रूम में बंद मिला। प्रधानाध्यापक ने बताया कि उन्हें जानकारी ही नहीं है कि इसे कैसे आपरेट करते हैं। विभागीय लोग भी नहीं आते कि इसे ठीक कराया जा सके। राजकीय कन्या इंटर कालेज डुमरियागंज में इसका प्रबंध ही नहीं है।
प्रधानाचार्या रजनी पांडेय ने बताया कि उन्होंने यंत्र के लिए डिमांड की है। ठीक यही स्थिति भनवापुर के 225 परिषदीय स्कूलों की भी है। यहां खरीदे गए यंत्रों का कोई पता ही नहीं कि उनका क्या किया गया। बीईओ श्याम प्रताप सिंह ने कहा कि जांच करवाकर अग्निशमन यंत्रों को क्रियाशील किया जाएगा।