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राम विवाह मंचन देख खुशियों से झूम उठे श्रोता

मंचन का शुभारंभ भगवान श्रीराम की आरती से होता है। फिर कलाकारों ने सीता स्वयंवर में दिखाया कि तमाम राजा-महाराजा प्रयास करते हैं लेकिन धनुष हिला तक नहीं सके। राजा जनक के साथ जनकपुरी मायूस हो जाते हैं। तभी गुरु विश्वामित्र राम को धनुष उठाने की आज्ञा देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 10:52 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 10:52 PM (IST)
राम विवाह मंचन देख खुशियों से झूम उठे श्रोता

सिद्धार्थनगर : सकतपुर स्थित संकटेश्वरनाथ मंदिर पर चल रहे 11 दिवसीय रूद्र महायज्ञ व रामलीला में शनिवार की रात विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुए। प्रवचनकर्ता आचार्य लक्ष्मण दास महाराज ने यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डाला। रामलीला कलाकारों ने राम-सीता विवाह का सजीव मंचन किया। श्रोता खुशियों से झूम उठे। जय श्रीराम के जयकारे से पंडाल गूंज उठा।

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मंचन का शुभारंभ भगवान श्रीराम की आरती से होता है। फिर कलाकारों ने सीता स्वयंवर में दिखाया कि तमाम राजा-महाराजा प्रयास करते हैं, लेकिन धनुष हिला तक नहीं सके। राजा जनक के साथ जनकपुरी मायूस हो जाते हैं। तभी गुरु विश्वामित्र राम को धनुष उठाने की आज्ञा देते हैं। एक झटके में प्रभु श्रीराम धनुष भंग करते हैं। धनुष टूटते ही चारों ओर जयघोष की गूंज सुनाई देने लगती है। परशुराम व लक्ष्मण के संवाद के बाद कलाकारों ने राम-सीता के विवाह का सजीव मंचन किया। खुशी से झूमते हुए श्रद्धालु पुष्प वर्षा करने लगते हैं। आयोजक भाजपा जिला उपाध्यक्ष राम कृपाल चौधरी, राम शब्द उपाध्याय, राजू गुप्ता, आदित्य गुप्ता, भोला चौधरी, रामफेर, विजय कुमार आदि उपस्थित रहे। शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनकर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

क्षेत्र के भड़रिया स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में चल रहे सात दिवसीय राम कथा के तीसरी रात्रि में कथा वाचक शिवम दास महाराज ने शिव पार्वती विवाह का वर्णन कर श्रद्धालुओं को निहाल कर दिया। कथावाचक ने बताया कि जब शिव व पार्वती का विवाह होने वाला था तो एक बड़ी सुंदर घटना हुई। उनकी शादी बहुत ही भव्य थी। इससे पहले ऐसी शादी कभी नहीं हुई थी। भगवान शिव जो दुनिया के सबसे तेजस्वी प्राणी थे। एक दूसरे प्राणी को अपने जीवन का हिस्सा बनाने वाले थे। उनकी शादी में बड़े से बड़े व छोटे से छोटे लोग शामिल हुए। सभी देवता तो वहां मौजूद थे ही साथ ही असुर भी वहां पहुंचे। आमतौर पर जहां देवता जाते थे, वहां असुर जाने से मना कर देते थे ओर जहां असुर जाते थे वहां देवता नहीं जाते थे। परंतु यह तो भगवान शिव का विवाह था। इसलिए उन्होंने अपने सारे झगड़े भुलाकर एक बार एक साथ आने का मन बनाया। दिनेश यादव,संतोष शरण, उमेश जायसवाल, आलोक पाण्डेय, कन्हैया पासवान, राम ख्याल आदि लोग उपस्थित रहे।


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