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सियासी लड़ाई में फंसी नौगढ़ व इटवा की फाइल

लंबे इंतजार के बाद भी जिला मुख्यालय की नगर पालिका नौगढ़ के विस्तार व तहसील मुख्यालय का कस्बा इटवा के नगर पंचायत बनने की फाइल सियासी लड़ाई का शिकार हो गई। इससे इटवा को नगर पंचायत बनते देखने का सपना संजोने वालों को निराश होना पड़ा

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 10:13 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 10:13 PM (IST)
सियासी लड़ाई में फंसी नौगढ़ व इटवा की फाइल
सियासी लड़ाई में फंसी नौगढ़ व इटवा की फाइल

सिद्धार्थनगर: लंबे इंतजार के बाद भी जिला मुख्यालय की नगर पालिका नौगढ़ के विस्तार व तहसील मुख्यालय का कस्बा इटवा के नगर पंचायत बनने की फाइल सियासी लड़ाई का शिकार हो गई। इससे इटवा को नगर पंचायत बनते देखने का सपना संजोने वालों को निराश होना पड़ा। जिले की स्थापना के बाद व जिले में नगर पालिका व नगर पंचायत बनने के साथ ही इटवा को नगर पंचायत बनाने की मांग की जाती रही है। एक दशक से जिला मुख्यालय की नगर पालिका के विस्तार का भी खाका तैयार होने के बाद अंजाम तक नहीं पहुंच पा रहा है।

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इटवा जिले का एक मात्र ऐसा तहसील मुख्यालय है जो अभी तक नगर पंचायत में तब्दील नहीं हो सका है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की नींव रखते हुए बर्डपुर को नगर पंचायत बनाने की मंशा जाहिर की थी। इटवा व बिस्कोहर को नगर पंचायत बनाने की भी मांग लंबे अरसे से की जा रही थी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने भी अपने प्रयास को अंजाम दिया था। जब तक उनकी मंशा अंजाम तक पहुंचती तब तक सरकार बदल गई। सरकार बदलने के साथ ही इटवा को नगर पंचायत बनाने की बात को की जाती रही लेकिन जब घोषणा हुई तो नगर पंचायत बनने वालों की सूची से इटवा का नाम बाहर था। इसी तरह से सीमा विस्तार के लिए जिला मुख्यालय के नगर पालिका की फाइल चल तो रही थी लेकिन सियासी यह फाइल भी सियासत का शिकार हो गई।

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चुनावी मुद्दा रहा इटवा व बिस्कोहर

इटवा व बिस्कोहर को नगर पंचायत की घोषणा वर्ष 2016 के अंत में हुई। चूंकि चुनाव नजदीक थे, इसलिए इसे चुनावी स्टंट कहा गया। भाजपा की सरकार बनी तो एक बार फिर दोनों कस्बों को नगर पंचायत बनाने की कवायद प्रारंभ हुई। विधायक डा. सतीश द्विवेदी ने इसके लिए प्रयास शुरू किया। सभी को उम्मीद थी, कि दोनों कस्बे एक साथ टाउन के रूप में पहचान बनाएंगे। परंतु मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में बिस्कोहर को नए नगर पंचायत का दर्जा देने के रूप में मुहर लगाई गई, जबकि इस सूची में इटवा का नाम शामिल नहीं किया गया। जिसके बाद चर्चा जोर पकड़ने लगी, कि कहीं सियासी लड़ाई के बीच इटवा नगर पंचायत की प्रक्रिया पिस नहीं रही है।

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शीघ्र इटवा को मिलेगा नगर पंचायत का दर्जा : डा. सतीश

धैर्य रखें, बिस्कोहर कस्बा नगर पंचायत बन गया है, इटवा को भी शीघ्र इसका दर्जा मिल जाएगा। सपा सरकार में नगर पंचायत के नाम केवल धोखा देने का काम किया गया। अधिसूचना जारी होने से तीन दिन पहले इसकी घोषणा की गई। इटवा व बिस्कोहर दोनों की आबादी 20-20 हजार से कम दिखाई गई। जो मानक पूरा ही नहीं कर रही है। विधायक बनने के बाद उन्होंने नए सिरे से प्रयास किया। योगी सरकार की कैबिनेट ने बिस्कोहर पर मुहर लगाई, जल्द इटवा को भी इसका दर्जा मिलेगा।

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सपा शासन में शुरू हुई थी प्रक्रिया : माता प्रसाद

सपा सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इटवा, बिस्कोहर व कपिलवस्तु को नगर पंचायत का दर्जा देने की घोषणा शुरू की थी। कागजी प्रक्रिया भी पूर्ण हो चुकी थी। कैबिनेट की स्वीकृति मिलनी बाकी थी। बीजेपी सरकार में इटवा नगर पंचायत की फाइल में संशोधन कर दिया गया, अब जबकि बिस्कोहर नगर पंचायत घोषित हो चुका है, तो सरकार के लोग ही बता सकते हैं, कि क्या कारण है जो इटवा नगर पंचायत नहीं सका।

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इटवा को भी मिलना चाहिए था दर्जा : मो. मुकीम

पूर्व सांसद मोहम्मद मुकीम ने कहा कि इटवा जनपद एकमात्र ऐसा तहसील मुख्यालय है जो जिसको नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिल सका है। बिस्कोहर के पहले नहीं तो इसके साथ इसको भी नगर पंचायत के रूप स्वीकृति मिलनी चाहिए थी, परंतु दुर्भाग्य ऐसा नहीं हो सका। सरकार से मांग करते हैं कि जल्द ही इटवा को भी टाउन का दर्जा दिया जाए।


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