बोले छात्र, बहुत खला लाकडाउन का सात माह
कोरोना संक्रमण से बंद हुए विद्यालयों में सात माह बाद सोमवार से रौनक लौट आई। बच्चों की प्रथम दिन संख्या भले कम रही पर जो भी छात्र स्कूलों में पहुंचे उनके चेहरे पर रौनक ही कुछ अलग थी। उनके चेहरे पर खुशी की अनुभूति साफ स्पष्ट हो रही थी।
सिद्धार्थनगर : कोरोना संक्रमण से बंद हुए विद्यालयों में सात माह बाद सोमवार से रौनक लौट आई। बच्चों की प्रथम दिन संख्या भले कम रही पर जो भी छात्र स्कूलों में पहुंचे उनके चेहरे पर रौनक ही कुछ अलग थी। उनके चेहरे पर खुशी की अनुभूति साफ स्पष्ट हो रही थी। सात माह के इस अंतराल में कैसा महसूस किए इस बात को छात्रों ने जागरण से साझा किया। हमें लाकडाउन को लेकर काफी चिता थी। मेरा इस वर्ष हाईस्कूल फाइनल है। आन लाइन तो पढ़ाई चल रही थी पर क्लास में साथियों संग बैठ कर फेस टू फेस गुरुजनों से शिक्षा ग्रहण करने का जो आनंद है वह नहीं मिल रहा था।
आन लाइन कक्षाएं कभी कभी ही चलती थीं। वह भी हर विषय की कक्षाएं नही चल रहीं थीं। क्लास रूम में साथियों के साथ बैठ कर पढ़ाई करने में कोई चीज यदि समझ में नही आई तो ग्रुप डिस्कशन कर समझने का मौका मिल जाता है। इंटर कोर्स इतना अधिक होता है कि कक्षा 11 से ही बेहतर पढ़ाई व गाइड की जरूरत होती है। लाकडाउन भर पढ़ाई काफी का काफी बुरा हाल रहा। घर पर बैठ कर आन लाइन क्लास करने में बहुत सारी जिज्ञासा मन में ही रह जाती थीं। आज सात माह बाद स्कूल आकर लगा कि हमें बेहतर शिक्षा अब फिर से मिलने लगेगी। इस बात की जहां खुशी है वही चिता भी इस वर्ष हमें इंटर की परीक्षा में बेहतर परिणाम लाने की। स्कूली शिक्षा में ही संभव है कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त हों।