श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह देख निहाल हुए श्रद्धालु
कस्बे के बुद्ध विद्यापीठ इंटर कालेज प्रांगण में चल रही संगीतमय श्रीमछ्वागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई गई। कलाकारों ने इसका मंचन भी किया। कथावाचक मानस मंदाकिनी कनकेश्वरी देवी ने बताया कि विदर्भ के राजा भीष्मक के घर रुक्मिणी का जन्म हुआ।
सिद्धार्थनगर : कस्बे के बुद्ध विद्यापीठ इंटर कालेज प्रांगण में चल रही संगीतमय श्रीमछ्वागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई गई। कलाकारों ने इसका मंचन भी किया। कथावाचक मानस मंदाकिनी कनकेश्वरी देवी ने बताया कि विदर्भ के राजा भीष्मक के घर रुक्मिणी का जन्म हुआ।
अयोध्या से आयी मानस मंदाकनी ने भक्तों को बताया कि बाल अवस्था से भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे हृदय से पति के रूप में चाहती थी। लेकिन उसका भाई रुक्मिणी का विवाह गोपल राजा शिशुपाल के साथ कराना चाहता था। रुक्मिणी ने अपने भाई की इच्छा जानी तो उसे बड़ा दुख हुआ। अत: शुद्धमति के अंतपुर में एक सुदेव नामक ब्राह्मण आता-जाता था। रुक्मिणी ने उस ब्राह्मण से कहा कि वे श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती हैं। सात श्लोकों में लिखा हुआ मेरा पत्र तुम श्रीकृष्ण तक पहुंचा देना। श्रीकृष्ण आकर उन्हें यहां से ले जाओ। रुक्मिणी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आप इस दासी को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं हजारों जन्म लेती रहूंगी। मैं किसी और पुरुष से विवाह नहीं करना चाहती हूं। बेशक सौ जन्म लेने पडे़। सोमनाथ शास्त्री ने बताया कि पार्वती के पूजन के लिए जब रुक्मिणी आई। उसी समय प्रभु श्रीकृष्ण रुक्मिणी का हरण कर ले गए। अत: रुक्मिणी के पिता ने रीति रिवाज के साथ दोनों का विवाह कर दिया। महंत लालबहादुर दास, राजकमल जायसवाल, फूलचंद जायसवाल, प्रेमचंद्र जायसवाल, विनोद अग्रहरि, राजेश जायसवाल, पवन कुमार वर्मा, दिलीप कुमार वर्मा, राम बेलास वर्मा आदि मौजूद रहे।