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अवैध कब्जे पर प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

तहसील प्रशासन के भी खेल निराले हैं। एक दूसरे की रिपोर्ट के आधार पर अवैध कब्जे को जिम्मेदार खाली होना बता रहे हैं। जबकि उक्त भूमि को लोग कब्जे में लेकर खेती बारी का कार्य तीन वर्षों से कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 12:50 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 12:50 AM (IST)
अवैध कब्जे पर प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

सिद्धार्थनगर : तहसील प्रशासन के भी खेल निराले हैं। एक दूसरे की रिपोर्ट के आधार पर अवैध कब्जे को जिम्मेदार खाली होना बता रहे हैं। जबकि उक्त भूमि को लोग कब्जे में लेकर खेती बारी का कार्य तीन वर्षों से कर रहे हैं। पूर्व प्रधान की शिकायत के बाद भी कब्जाधारियों पर न तो मुकदमा दर्ज हुआ और न ही भूमि खाली करवाने की जहमत उठाई गई।

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ग्राम पंचायत तेनुई के राजस्व ग्राम चंदनजोत व नेहतुआ में नदी के खाते की 90 बीघे भूमि पर अवैध कब्जा है। गांव के कुछ दबंगों ने जमीन पर कब्जा कर रखा है। प्रदेश सरकार ने एंटी भूमाफिया पोर्टल शुरू कर यह संदेश दिया था कि अब सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा नहीं हो सकेगा, बावजूद उस आदेश की हनक तहसील क्षेत्र में नहीं है। नेहतुआ के पूर्व ग्राम प्रधान त्रिलोकीनाथ पांडेय ने जुलाई माह में डीएम को शिकायतीपत्र देकर नदी खाते की भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत की। जांच एसडीएम से होकर लेखपाल तक पहुंची। अगस्त माह में लेखपाल ने रिपोर्ट दी कि उक्त गाटा संख्या की भूमि नदी के खाते की है और नदी उक्त भूमि से दो किमी दूर बह रही है। इसी रिपोर्ट पर एसडीएम ने अगस्त में यह रिपोर्ट लगाई की भूमि खाली है और उसमें पानी भरा हुआ है। जबकि लोग भूमि का उपयोग विभागीय साठगांठ से खेती के लिए कर रहे हैं। इसी ग्राम सभा में 10 भूमिहीन, 30 विधवा व आठ दिव्यांग हैं, नियमत: यह उक्त भूमि पर पट्टे के पात्र हैं, लेकिन इनके हिस्से एक इंच भूमि नहीं है। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि वह खुद स्थलीय निरीक्षण करेंगे, अगर कब्जा मिला तो कार्रवाई होगी। जो गांव के पात्र हैं वह आवेदन करें उन्हें पट्टे पर जमीन दी जाएगी।


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