..साहब! हमारे नसीब में पक्का मकान कहां
सरकारी महकमे की कारगुजारी का एक उदाहरण नही कई मिल जाएंगे। पात्र होने के बाद भी ठंडक हो या बारिश या फिर गर्मी हमेशा खुले आसमान के नीचे या पन्नी तान और झोपड़ी में जीवन यापन कर रहे हैं।
सिद्धार्थनगर: सरकारी महकमे की कारगुजारी का एक उदाहरण नही कई मिल जाएंगे। पात्र होने के बाद भी ठंडक हो या बारिश या फिर गर्मी हमेशा खुले आसमान के नीचे या पन्नी तान और झोपड़ी में जीवन यापन कर रहे हैं।
बढ़नी ब्लाक के दो हजार की आबादी वाले गांव धनौरा मुस्तहकम निवासी पैसठ वर्षीय विधवा चिनकी देवी के लिए आज भी पक्का मकान सपना जैसा है। गरीबी की हालत में छप्पर की झोपड़ी पर पन्नी तान कर जीवन काट रही है। एक बेटी और एक बेटा के साथ मजदूरी कर जीवन यापन कर रही है। प्रधानमंत्री आवास पाने की ललक में आंखें पथरा गईं हैं। शासन का स्पष्ट आदेश है कि अति निर्धन और निराश्रित को पात्र की श्रेणी में रखकर पहले प्राथमिकता के आधार पर आवास दिया जाए। यहां इसका उलट हो रहा है। निर्धन को छोड़ संपन्न परिवारों को आवास दिया जा रहा है। चिनकी देवी का कहना है कि आठ साल पहले गरीबी की मार झेलते पति राम रतन की मृत्यु हो गई। दो वक्त की रोटी और तन ढ़कने के लिए मजदूरी कर बड़ी मुश्किल से जीवन यापन हो रहा है। तीन साल पहले ही प्रधान को आवास के लिए फार्म भर कर दिया था। ग्राम विकास अधिकारी एवं प्रधान से कई बार गुहार लगाई। कोई नही सुन रहे हैं। यहां पात्र को नहीं अपात्रों को आवास दिया गया है। निष्पक्ष जांच हो तो सत्यता खुद सामने आ जाएगी। आंखों में आंसू लिए विधवा चिनकी कहती है गरीबी में आवास की व्यवस्था करें कि जवान बेटी के हाथ पीले करें। बीडीओ राम विलास राय ने कहा की जांच कराकर महिला को आवास दिलाने की कार्रवाई की जायेगी।