किराया न चुकाने पर खाली करा दी खोली
लॉकडाउन में मुंबई और पंजाब से घर पहुंचे प्रवासी मजदूरों की पीड़ा कम नहीं है। जिनके लिए वह रातोंदिन साथ थे वही लोग किराया न चुकाने पर उनकी खोली भी खाली करा दिए। सड़क पर आए तो जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे। घर पहुंचने के लिए जेब में किराया नहीं था। भोजन करने के पैसे भी समाप्त हो गए थे। कंपनी के मालिकों ने भी हाथ खींच लिए।
सिद्धार्थनगर : लॉकडाउन में मुंबई और पंजाब से घर पहुंचे प्रवासी मजदूरों की पीड़ा कम नहीं है। जिनके लिए वह रातोंदिन साथ थे, वही लोग किराया न चुकाने पर उनकी खोली भी खाली करा दिए। सड़क पर आए तो जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे। घर पहुंचने के लिए जेब में किराया नहीं था। भोजन करने के पैसे भी समाप्त हो गए थे। कंपनी के मालिकों ने भी हाथ खींच लिए।
..
कर्ज लेकर आए गांव
जोगिया ब्लाक ग्राम उदयपुर निवासी निखिल विश्वकर्मा मुंबई के मीरा रोड स्थित लकड़ी के व्यापारी के प्रतिष्ठान पर काम करते थे। व्यापारी भी उत्तर प्रदेश का निवासी है। वह किराये का कमरा लेकर खुद भी रहता है और साथ में दो अन्य को भी वहां रखे हैं। लॉकडाउन के एक माह तक किसी प्रकार व्यापारी ने सभी का खर्च उठाया। एक दिन पैसे की तंगी का हवाला देते हुए किराए के कमरे को छोड़ कर सभी को गांव जाने के लिए बोल दिया। उस समय लोगों के पास पैसे नहीं थे। किसी प्रकार एक दिन उपवास करके व्यतीत किया। कुछ दूरी पर रहने वाले एक रिश्तेदार से पांच हजार रुपये की मदद मिली। किसी प्रकार ट्रक से घर पहुंचे।
.......
किराया का दबाव बनाए तो चले आए घर
सदर तहसील के पकड़ी चौराहा निवासी आशीष चौधरी गुजरात के सूरत शहर के एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं। वह मंगलमूर्ति मोहल्ला में तीन हजार रुपये प्रतिमाह की दर पर एक कमरा किराए पर लेकर रहते रहे। लॉकडाउन के बाद कामधंधा बंद हो गया। कोई आमदनी नही रही। भोजन की भी परेशानी खड़ी हो गई। मकान मालिक लगातार किराया के लिए दबाव बनाए हुए था। किसी प्रकार एक माह का किराया देकर वहां से निकला। इसी गांव के कन्हैया सहानी मुंबई में दिहाड़ी मजदूर हैं। पांच लोगों के साथ किराये के मकान में रहते थे। काम बंद होने व मकान मालिक का किराए के लिए दबाव होने के कारण कमरा खाली करना पड़ा।
.......... .. और चले आए एक साथ 27 मजदूर
सदर तहसील के थाना लोटन के ग्राम सैनुवा के 27 मजदूर पंजाब के लुधियाना में फैक्ट्री में काम करते हैं। प्रमोद, सुभाष, शिवकुमार, पवन, समीर, रामजन्म, दुलारे, सुदामा, लालमन, अंगद, सुनील, राजनाथ, श्रीराम, मुन्ना, प्रकाश, राजेश, रुदल, वीरेंद्र, सुदीप आदि जीटी रोड पर स्थित अशोका लाइन मोहल्ला स्थित एक मकान में एक साथ किराए पर कमरा लेकर रहते थे। मकान मालिक प्रति व्यक्ति 900 रुपये प्रतिमाह किराया वसूल लेते थे। लॉकडाउन के पहले माह में सभी ने किराया दिया। दूसरे माह में काम नहीं होने से इनके रुपये समाप्त होने लगे तो मकान मालिक ने घर खाली करने का फरमान सुना दिया। समाजसेवी राजन द्विवेदी की मदद से किसी प्रकार यह सभी गांव पहुंचे।