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राशन किट और न ही बस की सुविधा

राज्य की सीमा पर ट्रक मैजिक डीसीएम आदि वाहनों को लेकर बरती जा रही सख्ती का नतीजा है कि अब बाहर से आने वालों की संख्या कुछ कमी आई है। पहले जहां तीन-चार हजार लोग प्रतिदिन आते थे तो इधर इनकी तादाद सैकड़ों में पहुंची

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 09:59 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 09:59 PM (IST)
राशन किट और न ही बस की सुविधा
राशन किट और न ही बस की सुविधा

सिद्धार्थनगर : राज्य की सीमा पर ट्रक, मैजिक, डीसीएम आदि वाहनों को लेकर बरती जा रही सख्ती का नतीजा है कि अब बाहर से आने वालों की संख्या कुछ कमी आई है। पहले जहां तीन-चार हजार लोग प्रतिदिन आते थे, तो इधर इनकी तादाद सैकड़ों में पहुंची है। अब लोग सरकारी बस व निजी साधन ही अपने वतन वापस हो रहे हैं। परंतु यहां पहुंचने के बाद भी उनकी तकलीफें कम नहीं हो रही हैं। महिलाओं एवं छोटे-छोटे बच्चों के साथ रजिस्ट्रेशन आदि प्रक्रिया पूर्ण कराने के उपरांत अधिकांश को राशन किट नहीं मिली। कहने को प्राइवेट बसें खड़ी है, मगर दो-दो घंटे के बाद भी नहीं चलीं। मजबूरी में कोई पैदल तो टेंपो खोज कर अपने गांव के लिए रवाना होते देखे गए।

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मंगलवार को इटवा स्थित अलफारूक इंटर कालेज में बने कंट्रोल सेंटर पर सौ से ज्यादा लोग लाइन में खड़े थे। यहां 1 बजे करीब पांच सौ आ चुके थे, जिसमें अधिकांश मुंबई से आए थे। रजिस्ट्रेशन, थर्मल स्क्रीनिग आदि प्रक्रिया पूर्ण कराने के बाद इनमें कुछ लोग राशन किट के लिए बैठे थे, तो कोई बस के इंतजार में। संतराम प्रजापति मुंबई के परनवेल से ट्रेन से बस्ती आए, वहां परिवहन की बस से इटवा पहुंचे। ग्राम छगड़ियवा जाना था, राशन के लिए कहा गया, कि होम डिलेवरी होगी। गुल्हौरी के राम फल, मिठौवा के शिव प्रसाद परिवार व बच्चों के साथ दो घंटे बैठे थे, बस तो स्कूल परिसर में खड़ी थी, मगर कोई चल नहीं रही थी। राकेश, संतोष निवासी सोनबरसा, पुन्नवासी, पुद्दन ग्राम मेंहदानी, अब्दुल मुबीन बड़हरा आदि ऐसे प्रवासी थे, जो बस के इंतजार में थे, इनमें किसी को राशन नहीं मिला। तहसीलदार अरविद कुमार ने कहा कि अब तक 14210 लोग आ चुके हैं, कुछ को राशन किट दिया जाता है, शेष को उनके गांव में होम डिलेवरी के जरिये खाद्यान्न पहुंचाया जाएगा।


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