बाधक को साधक बनाने वाला ही होता महान
ऐचनी स्थित बजडेश्वर शिव मंदिर पर चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ के पांचवें दिन कथावाचक मानस मर्मग्य प्रियंका द्विवेदी ने कहा कि जो मनुष्य बाधक को साधक बना ले और कर्तव्य पथ में विघ्न करने वाले के साथ भी अच्छा आचरण करे वही महान कहलाता है । कहा कि अपने पथ पर निरंतर चलने वाला मनुष्य ही लक्ष्य की प्राप्ति करता
सिद्धार्थनगर : ऐचनी स्थित बजडेश्वर शिव मंदिर पर चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ के पांचवें दिन कथावाचक मानस मर्मग्य प्रियंका द्विवेदी ने कहा कि जो मनुष्य बाधक को साधक बना ले और कर्तव्य पथ में विघ्न करने वाले के साथ भी अच्छा आचरण करे वही महान कहलाता है । कहा कि अपने पथ पर निरंतर चलने वाला मनुष्य ही लक्ष्य की प्राप्ति करता है ।
उन्होंने कहा हनुमान जी सारे गुणों से परिपूर्ण थे। उन्होंने अपनी बुद्धि, कौशल का कभी अभिमान नहीं किया । लंका जाते समय तीन प्रकार के गुण मई माया का सामना करना पड़ा परंतु हनुमान जी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। देव लोक से आई सुरसा सतोगुड़ी, सिधी जो पक्षियों को पकड़ कर खाने वाली हो तमोगुड़ी और लंकिनी रजोगुण थी। तीनों की माया को समाप्त करते हुए हनुमान लंका पहुंचे थे । जब जीव भक्ति की खोज में परमार्थ पर चलता है तो उसे तीन प्रकार के इन गुणमई बाधा का सामना करना ही पड़ता है । संगम तिवारी, श्रीधर त्रिपाठी, देवेन्द्र पाण्डेय, रामसुभग यादव, विध्याचल मिश्र, कृष्ण भगवान तिवारी, रामसुभग यादव, शिवमूरत राय, जय प्रकाश राय, घनश्याम मिश्र, शैलेंद्र पाण्डेय, कालिम बाबा, सीताराम तिवारी, सोनू तिवारी, जुगुल किशोर शर्मा, मशीन आहे तिवारी, रामशब्द तिवारी, केपी त्रिपाठी, देवानंद त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।