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Nepal Election 2022: तीन दिन बाद खुली भारत-नेपाल सीमा, लौटी सीमाई कस्बों की रौनक

Nepal Election 2022 नेपाल में हो रहे चुनाव के कारण भारत नेपाल की सीमा सील थी। तीन दिन तक सील रहने के बाद नेपाल बार्डर सोमवार को खोल दिया गया। इससे दोनों देशों के लोगों का एक दूसरे के क्षेत्रों में आना-जाना शुरू हो गया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 22 Nov 2022 12:02 AM (IST)Updated: Tue, 22 Nov 2022 12:02 AM (IST)
भारत नेपाल को जोड़ने वाला सीमा पर बना प्रवेश द्वार। - फाइल फोटो

सिद्धार्थनगर, जागरण संवाददाता। नेपाल चुनाव को लेकर भारत-नेपाल सीमा तीन दिनों तक सील रही है। इससे सीमाई क्षेत्रों में रौनक गायब थी। सोमवार की सुबह बार्डर खुला तो जिले के सीमाई कस्बा बढ़नी, खुनुवा, अलीगढ़वा सहित नेपाल के रूपनदेही जिले का कृष्णानगर, खुनगाई, चाकरचौड़ा आदि सीमाई कस्बों की रौनक देखी गई। कारोबार व अन्य जरूरतों को दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के क्षेत्र में आ जा रहे हैं। वह चुनाव को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं। हर कोई अपने समर्थक के जीत के दावे भी करता नजर आ रहा है।

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सीमाई बाजारों में अपने प्रत्याशी के जीत के दावे पेश करते रहे लोग

तीन दिनों से सील नेपाल बार्डर सोमवार की सुबह से खोल दिया गया। दोनों देशों के लोगों का एक दूसरे के क्षेत्रों में आना जाना शुरू हो गया। जिले के बढ़नी व नेपाल के कृष्णानगर बाजार की रौनक देखते ही बनी। कृष्णानगर के किराना व्यवसायी जीतेन्द्र गोयल व पवन अग्रवाल ने बताया कि उनके यहां भारतीय ग्राहक अधिक आते हैं। तीन दिन बार्डर बंद रहने से व्यवसाय मंदा हो गया था। बढ़नी बाजार के टायर व्यवसायी अरुण सिंह व बढ़नी रेलवे स्टेशन रोड पर चाय पान और भोजनालय की दुकान करने वाले आलोक भारती ने कहा कि यहां नेपाल के ग्राहक अधिक आते हैं। इससे तीन दिन से दुकानदारी ठप थी। सोमवार को अच्छी् बिक्री हुई है।

एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं दोनो देश के लोग

बता दें भारतीयों का नेपाल के लोगों से संबंध गहरा है। वह एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी होते हैं। दोनों देशों के लोग एक दूसरे पर निर्भर हैं। जिले में बढ़नी, कोटिया, खुनुवा, अलीगढ़वा, ककरहवा, हरिबंशपुर सहित दर्जन भर सीमाई कस्बे ऐसे हैं, जहां सुबह से ही कारोबार-व्यापार को लेकर नेपालियों का आना-जाना रहता है। यही स्थिति जिले से सटे नेपाल के कपिलवस्तु व रूपनदेही जिले के कृष्णानगर, मरजादपुर, चाकरचौड़ा, ओढ़वलिया, खुनगाई सहित दो दर्जन कस्बे ऐसे हैं, जहां रौनक भारतीयों के दम पर होती है। चुनाव के चलते तीन दिनों भारत-नेपाल सीमा सील थी। इससे सीमाई बाजारों में सन्नाटे जैसी स्थिति थी।

दवा करवाने के लिए मुझे भारत के सिद्धार्थनगर जाना था, लेकिन बार्डर सील होने के कारण नहीं जा सके। सोमवार को बार्डर खुलने के बाद वह दवा लेने के लिए निकले। - बबिन बरई, निवासी महिलवार, नेपाल।

चुनाव के वजह से तीन दिन से बार्डर बंद होने के वजह से कई जरूरी कार्य ठप हो गये। सिद्धार्थनगर के बर्डपुर रिश्तेदार के यहां एक कार्यक्रम में जाना था, लेकिन नहीं जा सका। - कुलदीप गुप्ता (लुंबिनी नेपाल)।

भारत-नेपाल सीमा बंद होने से कस्बों में सन्नाटे जैसी स्थिति थी। बार्डर खुलने से सीमाई बाजार गुलजार हुए हैं। - दिलीप पांडेय निवासी ककरहवा।

सीमा बंद होने का सबसे व्यापक असर सीमाई कस्बों के व्यापारियों पर पड़ता है। नेपाल चुनाव के मद्देनजर बार्डर बंद होने से तीन दिन तक व्यापार शून्य रहा। - अरविंद तिवारी निवासी झंगटी।


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