Move to Jagran APP

25 दिन बाद भी सुधि नहीं ले रहा विभाग

सिद्धार्थनगर : बकाया वेतन के भुगतान की मांग को लेकर बिजली विभाग के संविदा कर्मियों का धरना

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 11:39 PM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 11:39 PM (IST)
25 दिन बाद भी सुधि नहीं ले रहा विभाग
25 दिन बाद भी सुधि नहीं ले रहा विभाग

सिद्धार्थनगर : बकाया वेतन के भुगतान की मांग को लेकर बिजली विभाग के संविदा कर्मियों का धरना 25 दिनों से जारी है पर विभाग कोई सुधि नही ले रहा है। विभाग के इस रवैये से इनमें आक्रोश बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि माह बीतने के बाद यह धरना हम आमरण अनशन में परिवर्तित कर देंगे। अब जब तक हमारी मांग पूरी नही हो जाती तब तक यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।

loksabha election banner

धरनारत संविदा कर्मी काफी आक्रोश मे है। विभागीय अधिकारियों के उपेक्षात्मक रवैये से अब संविदा कर्मियों का धैर्य टूटने लगा है मंगलवार को धरने की अध्यक्षता कर रहे धर्मेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपनी जायज मांग को लेकर 25 दिनों से धरने पर बैठे हुए है । इसके बावजूद कोई भी अधिकारी हमारे समस्या के समाधान को लेकर आगे नहीं आ रहा है द्य उन्होंने कहा कि यदि इसी तरह अधिकारियो का उपेक्षात्मक रवैया रहा तो हम सब भूख हड़ताल करेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों की होगी। उन्होंने कहा कि उपखंड बांसी में तैनात 34 में से नौ संविदा कर्मियों को चौदह माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है। बकाया वेतन का भुगतान न होने से कर्मचारी एक एक पैसे के लिए तरस रहे हैं। बच्चों व परिवार के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। शिवमूर्ति दूबे ने ईपीएफ में रुपया जमा कराने, कर्मचारियों को आईडी जारी करने तथा इंश्योरेंस किये जाने की मांग उठाते हुए कहा कि मांग पूरी होने तक धरना व तालाबंदी का कार्यक्रम चलता रहेगा। धरने में अजय श्रीवास्तव, रहीम ,दीपक तिवारी, अनिल कुमार, उमेश चंद्र पांडेय, जमुना, राधेश्याम धनंज, मो. इसहाक आदि उपस्थित रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.