जिगिनाधाम मेले में टूटती हैं धार्मिक बेड़ियां
जिगिनाधाम मेले में तीसरे दिन जोशोखरोश का माहौल देखा गया। इस मेले में शामिल होने वाले लोगों का मजहब मायने नहीं रखता। इस मेले में ¨हदू हों अथवा मुसलमान दोनों शामिल होते हैं । एकता की भावना को मजबूत करते हैं। 11 दिसंबर से प्रारंभ हुआ यह मेला 17 दिसंबर तक चलेगा
सिद्धार्थनगर: जिगिनाधाम मेले में तीसरे दिन जोशोखरोश का माहौल देखा गया। इस मेले में शामिल होने वाले लोगों का मजहब मायने नहीं रखता। इस मेले में ¨हदू हों अथवा मुसलमान दोनों शामिल होते हैं । एकता की भावना को मजबूत करते हैं। 11 दिसंबर से प्रारंभ हुआ यह मेला 17 दिसंबर तक चलेगा। जिसमें जिले के अलावा, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती व नेपाल राष्ट्र से लोगों का हुजूम पहुंचता है। अन्य राज्यों से दुकानदार यहां पहुंचकर अपना व्यवसाय करते हैं। मेले में प्रतिदिन बीस से पच्चीस हजार लोगों की भीड़ जुट रही है।
इटवा तहसील मुख्यालय से करीब तेरह किमी दूर स्थिति प्राचीन ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के स्थान जिगिनाधाम मेले के तीसरे दिन हजारों की भीड़ मेला देखने उमड़ी। दिन रात चलने वाले मेले में नेपाल समेत कानपुर व कई गैर जनपदों से आयी डांस पार्टियां, थियेटर, मौत कुंए व झूले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। शुक्रवार को भोर से ही श्रद्धालुओं ने मंदिर के पास बने प्राचीन सरोवर में स्नान कर भगवान शिव, ब्रम्हा व विष्णु मंदिर में पूजा अर्चना कर मंदिर की परिक्रमा की। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की सभी मुरादें अवश्य पूरी होती है। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा कभी बोलती थी। जिस पर प्रसन्न होकर तत्कालीन मुगल बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर को चौरासी गांव देते हुए प्रतिदिन एक स्वर्ण मुद्रा राजकोष से देने का फरमान जारी किया था। मेले में महिलाओं, पुरुषों व बच्चों के अलावा काफी संख्या में बुजुर्ग भी शामिल हो रहे है। दूर दराज से आये साधू-संतों का जमावड़ा दो दिन पूर्व से ही देखने लायक है। डांस पार्टियां, मौत का कुआं, जादूगरी व प्रसिद्ध कामेडियन रंपत हरामी की नौटंकी समेत कई आकर्षक मिठाइयों व अन्य प्रकार की दुकानें लोगों का अपने ओर खींचने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। मेले का रौनक शबाब पर है। दूर दराज से आए लोग मंदिर के निकट स्थित बाग में अपना डेरा डालकर मेले का लुत्फ उठा रहे हैं। वहीं आस पास के लोगों की भीड़ यहां दिन ढ़लने के बाद पहुंचती है। मेले में शामिल होने वाले जाति-धर्म की दीवारें तोड़कर एकता का संदेश भी देते हैं। मेले में हर जाति,धर्म के लोग शामिल होकर मेले का न सिर्फ आनंद उठाते हैं, बल्कि आवश्यक खरीदारी भी करते हैं। मंदिर महंथ व मेला समिति के अध्यक्ष बाबा विजय दास कहते हैं कि मेले में इस बार पिछले वर्ष की तुलना में अधिक भीड़ जुट रही है। दिन में माहौल थोड़ा शांत रहता है, लेकिन दिन ढलने के बाद रौनक बढ़ती है। पूरी रात लोग मेले का आनंद लेते हैं और भगवान की पूजा अर्चना व आरती में शामिल होते हैं। मेले परिसर की साफ सफाई व अन्य व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के लिए निगरानी समिति का गठन किया गया है। सुरक्षा के हैं पुख्ता इंतजाम थानाध्यक्ष इटवा अखिलानंद उपाध्याय ने बताया कि मेले की सुरक्षा के लिये पुलिस बल के साथ महिला पुलिस, फायर बिग्रेड आदि की समुचित व्यवस्था की गई है। मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए डायल हंड्रेड की गाड़ियों को भी लगाया गया है। प्रतिदिन वह खुद मेला परिसर का भ्रमण कर असुविधाओं पर नजर रख रहे हैं और दुरूस्त करा रहे हैं। प्रशासन की है नजर
तहसीलदार इटवा राजेश अग्रवाल ने बताया कि मेले में आने वाले लोगों की सुरक्षा हेतु पर्याप्त इंतजाम हैं। दूर दराज से आए श्रद्धालुओं को अगर किसी प्रकार की कोई कठिनाई हो रही है तो मेले में स्थापित पुलिस चौकी से तत्काल मदद लें, अथवा प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराएं। कहा कि उन्होंने मेला परिसर का भ्रमण कर साफ सफाई और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी निर्देश दिए हैं।