लड़की के जर्जर पोल पर दौड़ रहा करंट
सिद्धार्थनगर : सरकार का दावा है कि जनपद के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने का काम पूरा हो चुका है। चिर
सिद्धार्थनगर : सरकार का दावा है कि जनपद के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने का काम पूरा हो चुका है। चिराग तले अंधेरा वाली कहावत को चरितार्थ करता विद्युत विभाग। हाइडिल कार्यलय के पीछे बसा थरौली गांव सरकार के दावे की पोल खोल रहा है। इस गांव में बिजली के तार लकड़ी के खंभो पर दौड़ाए जा चुके हैं। पक्के पोल लगाने की जरूरत नहीं समझी गई।
गांव में बिजली की आपूर्ति का दारोमदार आज भी लकड़ी के जर्जर पोलों के सहारे ही है। इस गांव में आज घर घर बिजली लगी है, लेकिन अधिकतर घरों में बिजली के तार निजी संसाधनों के सहारे पहुंच सके हैं। कई खंभो को तो आस पास के लोगों ने तार से बांधकर गिरने से रोके रखा है और कुछ ऐसे भी हैं जो ऊपर और नीचे दोनों ही तरफ से सड़ चुके हैं। जहां लकड़ी के खंभे लगे हैं वहां से आस पास के घरों में तो तार आसानी से पहुंचाए जा चुके हैं, लेकिन जिन घरों की दूरी अधिक है वह लोग बांस, बल्ली की व्यवस्था खुद करके घर तक केबल पहुंचाने को मजबूर हुए। रामकेश, दुब्बर, आशीष शुक्ला, मोहम्मद हसन रजा, राधेश्याम, मनोज शर्मा, ओमप्रकाश, अर्जुन, श्रीपति, नर्वदेश्वर, मुकेश द्विवेदी, जयराम यादव ने बताया दो वर्ष पहले नए कनेक्शन के लिए आवेदन किया तो उन्हें साफ बताया गया कि अभी पोल उपलब्ध नहीं हैं। जब तक उपलब्धता नहीं हो जाती तब तक किसी तरह केबल ले जाने की व्यवस्था कर लें बाद में पोल लगवा दिया जाएगा। लेकिन आज तक पोल नहीं लगवाया गया। एसडीओ नौगढ़ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रपोजल बना कर भेजा गया है। स्वीकृति होने पर उक्त जगहों पर पोल लगाया जाएगा।
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आजादी के बाद से अब तक नसीब नहीं हुई बिजली
धोबहा-डुमरियागंज : विकास खंड खुनियांव अन्तर्गत ग्राम पंचायत गुलरिया के राजस्व ग्राम कटेश्वर नाथ का मजरा तेली मोहल्ला आजादी के बाद से अब तक विद्युत सुविधा से वंचित है। विकास की दौड़ में जहां ग्राम पंचायतें आगे बढ़ रही हैं, वहीं इस टोले के लोग आज भी ढि़बरी युग में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं।
करीब डेढ़ दर्जन घरों का यह मजरा आज भी विद्युती सुविधा सुविधा से महरूम है। राजाराम गुप्ता व राम संवारे का कहना है कि उम्र के अंतिम पड़ाव में कदम रख चुके हैं, बिजली के इंतजार में आंखें पथरा गई है, पता नहीं उनकी ¨जदगी में बिजली की सुविधा गांव में नसीब हो पाएगी अथवा नहीं। प्रिन्स मिश्रा, सुनर पाती, फूला, राम फेर,कल्लू गुप्ता, माधव, राजाराम, तीरथ गुप्ता ने कहा कि बच्चे बाहर रहते हैं, उनका हाल जानने के लिए मोबाइल तो घर में है, मगर उसको चार्ज करने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। बच्चे आज भी अपनी पढ़ाई लालटेन व ढि़बरी में कर रहे हैं। ग्रामीणों ने आला अधिकारियों से समस्या समाधान कराने की मांग की है। एसडीओ इटवा पवन कुमार गुप्ता का कहना है कि उक्त मजरे में विद्युतीकरण नहीं है, यह मामला उनके संज्ञान नहीं हैं। पता कराते हैं, यदि बिजली वहां नहीं है, तो पावर टू आज के अंतर्गत इस टोले का विद्युतीकरण कराया जाएगा। इसके लिए सर्वे टीम भी इन दिनों आई हुई है।
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आपूर्ति में बाधक बनी जर्जर व्यवस्था
बांसी : ब्लाक क्षेत्र में क्षेत्र में होने वाली विद्युत आपूर्ति जुगाड़ पर टिकी है। विभाग की यह लापरवाही उपभोक्ताओं पर कभी भी भारी पड़ सकती है। गांवों की आपूर्ति में विभाग की लापरवाही लोगों को मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। पोलों से गए तारों को बिना क्रासआर्म के ही गुजारा जाना किसी दिन बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकता है। इस व्यवस्था से क्षेत्र में आये दिन लोकल फाल्ट की समस्या भी बनी हुई है।
तेलौरा बाजार से मूजडीह तक छह किमी लंबी लाइन में विभाग के लापरवाही की तो हद ही हो गई। 65 वर्ष पूर्व के लगे तार व पोल जर्जर होने के बाद भी वह इससे अंजान बना है। बिना क्रासआर्म के इंसूलेटर को सीधे पोलों से बांध कर तारों को ले जाया जाना लोगों की मौत को न्योता दे रहा है। इस व्यवस्था से हर सप्ताह चार से पांच दिन विद्युत आपूर्ति में अवरोध से लोगों को जूझना भी पड़ता है। यही स्थिति नासिरगंज से होकर विद्युत आपूर्ति की भी है। यहां एक दर्जन पोलों पर क्रासआर्म नहीं लगे हैं। कासडीह में तीन, रोहुआ में दो तेलौरा दो, सेखुई दो पोलों पर भी यह नहीं लगाये गये हैं। कहीं-कहीं लगे भी हैं तो लोहे की जगह लकड़ी का लगाकर आपूर्ति दी जा रही है। अधिकांश सड़ने से टूट कर गिर रहे हैं। इससे तार आपस में सट कर ¨चगारी उगलने लगते हैं। बलराम त्रिपाठी, बाबूराम, मनोज, अब्दुल सलाम, आजम, विजय कुमार आदि का कहना है विभाग को लोगों के जान की परवाह कहे को होगी, उसे तो सिर्फ बिल से मतलब है। एसडीओ दीपक ¨सह का कहना है कि यह हमसे पहले की व्यवस्था थी। हम एक एक गांव का सर्वे कर विद्युत समस्याओं को चिन्हित कर स्टीमेट बनवा रहे हैं। जहां क्रासआर्म नहीं हैं। वहां उसे लगवाने की व्यवस्था भी हो रही है। कुछ जगहों पर लगवाए भी गए हैं। जहां बचे हैं वहां भी बहुत जल्द बदल दिए जाएंगे।
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आपूर्ति में बाधक बने जर्जर तार व पोल
पथरा, बांसी : पथरा फीडर से संचालित होने वाली गांवों की विद्युत आपूर्ति कब सुधरेगी। यहां लगे चार दशक पूर्व जर्जर तार व पोल कब दुर्घटना का कारण बन जाए जनता इससे भयभीत है। दिन में कई बार होने वाले लोकल फाल्ट उसे तो और भी बेचैन कर दे रहे हैं। गर्मी शुरू होते ही यह समस्या और भी विकराल हो जाती है।
पथरा विद्युत उपकेन्द्र से डुमरियागंज व बांसी तहसीलों के दो ब्लाक के सौ से अधिक गांवों में आपूर्ति दी जाती है। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत लगे दो दर्जन के करीब गांवों को छोड़ दें तो अन्य गांवों के पोल व तार लगभग चार दशक पुराने है। कहीं खंभे झुक गये हैं तो कहीं तार झूल रहे हैं। कहीं -कहीं के ट्रांसफार्मर जीर्ण शीर्ण हालात में पहुंच चुके हैं। फलत: आए दिन गांवों की सप्लाई बाधित होना आम बात हो गई है। दूर दराज के गांवों में तो एक -एक पखवारे तक फाल्ट ठीक नहीं हो पाता और लोग अंधेरे में रहने को विवश होते हैं। जहां आपूर्ति होती भी है दिन भर में एक दर्जन बार आंख मिचौली करती है। गर्मी के दिनों में बिजली का कटना और भारी दिखने लगता है। बावजूद जनता के बुनियादी समस्या की तरफ किसी समाजसेवी या नेता का ध्यान नहीं जाता है। महेन्द्र कुमार, गिरीन्द्र ¨सह, छोटे ने बताया कि समस्या इससे भी गंभीर है बिजली तो बदहाल है ही ऊपर से जनता को कर भी देना पड़ता है। दुभरग्य से फाल्ट हो जाने पर विद्युत उपकेन्द्र के आदमी सौदेबाजी करते हैं। जो नहीं देता उसकी सप्लाई हफ्तों बाधित रहती है। मौलाना हफीजुल्लाह का कहना है कि अब तो फाल्ट ठीक करने में भी दलाली होने लगी है। गांवों के कुछ लोग विद्युत कर्मियों से मिले रहते हैं और फाल्ट ठीक कराने के नाम पर जनता से वसूली करते हैं। इसी बहाने उनकी भी जेब भर जाती है।
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पथ प्रकाश का दावा धड़ाम
डुमरियागंज : क्षेत्र के मुख्य चौराहों पर लगे हाईमास्ट विभागीय उपेक्षा से हाथीदांत साबित हो रहे हैं। रात में उजाला फैलाने के बजाए वह दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। इनको ठीक कराने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है।
मोतीगंज चौराहे पर लगा हाईमास्ट तीन साल पहले आई तेज आंधी में टूटा तो आज तक न खड़ा हो सका। खरकट्टी चौराहे पर भी सड़क के बीच में लगा हाईमास्ट उजाले की जगह खतरे को दावत दे रहा है। सोनहटी चौराहे का हाईमास्ट भी खराब होने के बाद आज तक नहीं बना। भनवापुर ब्लाक के बुढ़ऊ चौराहा व मन्नीजोत में लगे हाईमास्टों का भी यही हाल है। राम महेश प्रजापति, राजन अग्रहरि, नफीस अहमद ,मो. अहमद, यासीन अहमद, जुबैर अहमद, अनिल कुमार, उमेशचंद, रमेश चौधरी, नन्दलाल उपाध्याय, अंकुर, पप्पू तिवारी, रमेश शुक्ला, गौतम आदि ने इनको ठीक कराए जाने की मांग की है।
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रोजेदारों को रुला रही बिजली
बिजौरा, इटवा : चिलचिलाती धूप व लू के थपेड़ों में बिना अन्न-जल ग्रहण किए अल्लाह की इबादत कर रहे रोजेदारों को बिजली भी रुला रही है। बिजौरा, गागापुर, परसोहिया तिवारी, मोहम्मदपुर, बेतनार, मनिकौरा, वैनिया खास आदि गांवों में निर्धारित शेड्यूल के अनुसार बिजली नहीं मिल पा रही है। उमस भरी गर्मी के बीच भूखे-प्यासे दिन काटना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।
क्षेत्र में बिजली के आने-जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है। दिन में तो बिजली का दर्शन ही नहीं हो रहा है, जबकि रात में अघोषित कटौती व लो वोल्टेज ने लोगों की नींद हराम कर रखी है। आपूर्ति के नाम पर उपभोक्ता छले जा रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार की ओर से ग्रामीण इलाकों के लिए 18 घंटे आपूर्ति का रोस्टर निर्धारित है। क्षेत्र में बमुश्किल दस घंटे भी आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। रात में हर एक-आधे घंटे पर बिजली आती व जाती रहती है। मो. इमरान व इकबाल ने बताया कि बिजली के शेड्यूल का ही पता नहीं चल पा रहा है। कब आए और झलक दिखाकर चली जाए, कुछ भी पता नहीं है। जियाउद्दीन व रफीक ने बताया कि इस समय दिन में बिल्कुल बिजली नहीं मिल रही है। इससे रोजेदारों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं व रोगियों को सर्वाधिक परेशानी हो रही है। लोगों ने आपूर्ति में सुधार किए जाने की मांग की है।