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विकास को तरस रहा मिठवल बुजुर्ग गांव

ब्लाक का मिठवल बुजुर्ग ग्राम पंचायत विकास को तरस रहा है। जबकि यह गांव अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होने के कारण प्रशासन के अधीन था। बावजूद 2200 की आबादी आवास शौचालय जैसी योजनाओं सहित सड़क नाली आदि मूलभूत सुविधाओं को भी तरस रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 12:10 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 12:10 AM (IST)
विकास को तरस रहा मिठवल बुजुर्ग गांव
विकास को तरस रहा मिठवल बुजुर्ग गांव

सिद्धार्थनगर : ब्लाक का मिठवल बुजुर्ग ग्राम पंचायत विकास को तरस रहा है। जबकि यह गांव अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होने के कारण प्रशासन के अधीन था। बावजूद 2200 की आबादी आवास शौचालय जैसी योजनाओं सहित सड़क, नाली आदि मूलभूत सुविधाओं को भी तरस रही है।

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बीते पांच वर्ष में यह गांव अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुआ तो यहां प्रत्याशी के अभाव में चुनाव नहीं हो सका। नतीजतन ग्राम पंचायत ब्लाक अधिकारियों के अधीन हो गयी। यहां 2018 में 235 शौचालय कागज में तैयार करा गांव को ओडीएफ सूची में दर्ज तो करा दिया गया पर सौ से अधिक शौचालय धन के अभाव में अधूरे ही हैं। सुनीता, राजेश, काजल, सोनू, पार्वती, माधुरी व रमा देवी का कहना था कि हम लोग दीवार तो खड़ी कर लिए पर एक भी पैसा हमें नहीं मिला। नतीजतन शौचालय की छत नहीं लग सकी और हम लोगों को बाहर ही जाना पड़ता है। पांच आवास मिला, पर एक ही आवास बन सका। चार आवास का पता तक नहीं है। राजदेव के घर से गौरा पचेड़वा को जाने वाला संपर्क जर्जर ही है जब की मरम्मत के नाम पर दो बार इस पर भुगतान ले लिया गया। जबकि गोसांइ डिहवा टोला के गयादत्त, प्रेम गिरी, कैलाशी, शकुंतला, सूर्यप्रकाश गिरी आदि प्रधानमंत्री आवास की टकटकी लगाए हैं। दिलीप कुमार ने कहा कि प्रशासन अधीन गांव होने पर भरोसा था कि जो भी विकास कार्य होंगे वह ठीक होंगे पर हुआ उल्टा। जो भी काम हुए वह सेक्रेटरी ने अपने फायदे के लिए किया। वन बिहारी गिरी का कहना है कि अधूरे शौचालय के कारण मजबूरी में स्वजन को बाहर जाना पड़ रहा है। कहे थे दीवार खड़ी हो जाएगी तो पैसा मिलेगा पर फूटी कौड़ी नहीं मिल सका। बलराम गिरी ने कहा कि

साहब हम पैर से दिव्यांग हैं। हमें पेंशन व राशन कुछ नहीं मिल रहा। पांच वर्ष किसी अधिकारी को गांव में देखे तक नहीं। अब प्रधान हुए हैं उन्हीं से उम्मीद है। वशिष्ट प्रसाद ने कहा कि गांव में नाली का भारी अभाव है। जो थी वह टूट चुकी हैं। प्रशासन मरम्मत तक नहीं कराया। हो सकता है कागज में मरम्मत दिखा उसपर भी धन हजम हो गया हो। ग्राम विकास अधिकारी रजनीश ने कहा कि हमें यह गांव अभी जल्द ही मिला है। गांव में समस्याएं तो हैं। सड़क मरम्मत के नाम दो दो बार धन निकालने की जहां तक बात है तो इसकी जांच कर मैं अधिकारियों को सूचित करूंगा। प्रधान गायत्री देवी ने कहा कि पांच वर्ष में कुछ काम नहीं हुआ। एक एक कर सभी कार्यों को पूरा करा गांव को विकास की ओर अग्रसर करुंगी। जो भी आवास के पात्र हैं सब पर मेरी निगाह है।


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