श्रीकृष्ण ने कालिया नाग के अहंकार का किया अंत
धोबहा चौराहे पर चल रहे रूद्र महायज्ञ के पांचवें दिन कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की झांकी के साथ कालिया नाग के अत्याचारों से लेकर उद्धार तक की लीलाओं का मंचन किया
सिद्धार्थनगर : धोबहा चौराहे पर चल रहे रूद्र महायज्ञ के पांचवें दिन कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की झांकी के साथ कालिया नाग के अत्याचारों से लेकर उद्धार तक की लीलाओं का मंचन किया।
कालिया नाग एक ऋषि था, जो पहाड़ों पर पूजा पाठ और यज्ञ कर रहा था। जिसका नाम वेत्सरा था। एक बार उसके पास एक अस्वसरा नाम के ऋषि आये और साथ में रहकर तपस्या करने की बात करने लगे। इतने में वेत्सरा ऋषि को क्रोध आ गया और अस्वसरा ऋषि को श्राप देते हुए कहा कि तुम बहुत कांव-कांव कर रहे हो, जाओ तुम कौआ बन जाओ। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कलाकारों ने दिखाया कि वेत्सरा ने इन्हें श्राप दे दिया। वेत्सरा को भी श्राप देते हुए कहा कि तुम सर्प हो जाओ। उसी समय भगवान प्रकट होते है। और दोनों को वरदान देते है कि तुम लोगों का उद्धार हमारे हाथों होगा। कालिया नाग रमणीक दीप पर रह रहा था लेकिन गरुड़ के डर से वह वृंदावन के यमुना नदी में आकर रहने लगा। जिससे यमुना नदी का जल विषैला हो गया। भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग के अहंकार का अंत कर उसे दोबारा रमणीक पर्वत पर भेज दिया। आयोजक बाल संत प्रभाकर दास, शुभम, श्यामसुंदर अग्रहरि, फूल चंद्र अग्रहरि, मानिकराम, कैलाश सिंह, वासुदेव प्रधान आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।