भगवान शंकर के हृदय से निकली है रामकथा : कमलेश जी
क्षेत्र के ग्राम उसका के टोला उसकी शुक्ल में चल रहे लोक हितकारिणी श्री सीताराम ज्ञान महायज्ञ व संगीतमयी श्रीराम कथा के दौरान कथा व्यास स्वामी कमलेश जी महाराज ने कहा कि राम कथा भगवान शंकर के हृदय से निकली है। जिसके श्रवण मात्र से जीवन के जहर से मुक्ति मिलती है
सिद्धार्थनगर : क्षेत्र के ग्राम उसका के टोला उसकी शुक्ल में चल रहे लोक हितकारिणी श्री सीताराम ज्ञान महायज्ञ व संगीतमयी श्रीराम कथा के दौरान कथा व्यास स्वामी कमलेश जी महाराज ने कहा कि राम कथा भगवान शंकर के हृदय से निकली है। जिसके श्रवण मात्र से जीवन के जहर से मुक्ति मिलती है।
आयोजन के तीसरे दिन कथा में कहा कि विष (जहर) खाने से व्यक्ति एक ही बार मरता है। लेकिन ¨जदगी के जहर से वह मर-मर कर जीता है। तुलसीदास जी कहते हैं कि रामचरितमानस एही नामा। सुनत श्रवण पाई विश्राम अर्थात रामचरित्र की कथा से जीवन के जहर को मारकर विश्राम यानी शांति पाई जा सकती है। तुलसीदास जी के अलावा विश्वदर्शन में किसी ने भी विश्राम की बात नहीं किया है। सभी इंद्रियों का आनंदित होना सामान्य विश्राम है। पूर्ण विश्राम का मार्ग सिर्फ रामकथा ही दिखाती है। कथा व्यास ने आगे की कथा में कहा कि एक बार त्रेतायुग में कैलाश पर बैठे भगवान शंकर ने सती जी से कहा कि चलो इस पर्वत की ऊंचाई (अहंकार) को छोड़कर पृथ्वी पर चलते हैं। और कुम्भज ऋषि से राम कथा सुनकर अपने जीवन के विष को मिटा दिया जाय। जिससे उनके जीवन का जहर मिटा नही, उनका प्राण लेकर ही छोड़ा। कथा व्यास कहते हैं कि अज्ञानता का नाश ही मोक्ष है। संशय के जहर को हमें तत्काल निकाल देना चाहिए। कथा के दौरान यज्ञाध्यक्ष महन्त नीरजदास शास्त्री, मुख्य यजमान अष्टभुजा शुक्ल, गंगेश्वर त्रिपाठी, अनिल कुमार त्रिपाठी, शशिकांत त्रिपाठी, रामदेव शुक्ल, ग्राम प्रधान चन्द्रपाल शुक्ल, अनिल जायसवाल आदि सहित काफी संख्या में श्रोतागण शामिल रहे।