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खुद की डेयरी से बनी मिठाई, लाकडाउन में भी हुई कमाई

डेढ़ दशक पूर्व कम पूंजी से व्यवसाय शुरू करने वाले राजेंद्र कुमार गुप्ता ने कोरोना संक्रमण के दौर को अवसर में बदलने का काम किया है। योजना और डिजिटल लेने देन को आधार बनाकर कर आपदा के समय व्यवसाय को पटरी से उतरने नहीं दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 05:10 AM (IST)
खुद की डेयरी से बनी मिठाई, लाकडाउन में भी हुई कमाई
खुद की डेयरी से बनी मिठाई, लाकडाउन में भी हुई कमाई

सिद्धार्थनगर जेएनएन : डेढ़ दशक पूर्व कम पूंजी से व्यवसाय शुरू करने वाले राजेंद्र कुमार गुप्ता ने कोरोना संक्रमण के दौर को अवसर में बदलने का काम किया है। योजना और डिजिटल लेने देन को आधार बनाकर कर आपदा के समय व्यवसाय को पटरी से उतरने नहीं दिया। लाकडाउन के समय जब सभी व्यापार औंधे मुंह गिर गए थे, तब इन्होंने प्रशासन के सहयोग से होम डिलेवरी की सुविधा उपलब्ध की। वाट्सएप ग्रुप में ग्राहकों को जोड़ा। इनसे मिलने वाले आर्डर की समयबद्धता के साथ डिलेवरी की। घरों में शुद्ध दूध के साथ ब्रेड व मक्खन पहुंचाया। बच्चों के जन्मदिन पर केक की भी सप्लाई की। रोजाना मिठाई व पनीर भी बनता रहा। इसे भी घर-घर पहुंचाया। इस दौरान चुनौतियों का सामना करने के लिए गूगल को माध्यम भी बनाया।

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पराग मिल्क शिवानी बेकर्स के प्रोपराइटर राजेंद्र कुमार गुप्ता बताते है कि कोरोना संक्रमण से पहले रोजाना 20 से 25 हजार की दुकानदारी थी। इसमें डेयरी के दुग्ध उत्पादन से बनने वाली मिठाई की भी बिक्री शामिल है। लाकडाउन के दौरान यह बिक्री घटकर 10 से 15 हजार रुपये हो गई थी। अनलाक में दुकानदारी उठने लगी है। वर्तमान में 15 से 20 हजार रुपये की बिक्री हो जा रही है। दस कामगारों को रोजगार भी दे रहे हैं। लाकडाउन के दौरान जब बाजार बंद था, तो इनकी जीविका की भी जिम्मेदारी उठाई। सभी कामगारों को रोजगार से जोड़े रखा। नुकसान सहने पर भी इनके परिवार को सहारा दिया। वाट्सएप के माध्यम से प्रमुख ग्राहकों को जोड़ कर रखा। नए प्रोडक्ट और आफर के संबंध में जानकारी भी देना शुरू कर दिया है। इसके अलावा और भी कई जानकारी साझा कर रहे हैं। राजेंद्र कुमार गुप्ता बताते है कि लंबे संघर्ष के बाद व्यापार को खड़ा किया है। पहले कंटेनर में पराग दुग्ध की सप्लाई की। धंधा खड़ा करने में करीब एक लाख रुपये की पूंजी लगी थी। इस समय दुकान में दस से 15 लाख रुपये का सामान भरा है। लाकडाउन के पहले व्यापार अच्छा-खासा चल रहा था। अचानक से बाजार बंद हो गया। करीब पांच माह व्यापार प्रभावित रहा। जिसके कारण बहुत नुकसान उठाना पड़ा। लेन-देन ठप हो गया। बाजार व बैंक के कर्ज का बोझ भी बढ़ गया। खाद्य पदार्थ का व्यापार होने के कारण इनके खराब होने का खतरा बढ़ गया था। अनलाक में जब दुकान खुला तो अब बिक्री बढ़ने लगी है। ईद व लग्न की बाजार बंदी में बीत गई। यह दो सीजन इस व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कोविड-19 के नियमों का पालन कर खुद व स्वजन को संक्रमण से बचाया। सभी को संक्रमण से बचाने की चुनौती थी। अनलाक के प्रथम चरण में बाजार के पास कई संक्रमित मिले। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को कंटेंमेंट एरिया घोषित कर दिया। रास्ता बंद होने के कारण ग्राहकों का आना-जाना बंद था। सामाजिक दायरा होने के कारण बाहर निकलना भी जरुरी था। अनलाक के बाद भी ग्राहकों में कोरोना का भय व्याप्त है। व्यवसाय को पटरी पर लाना एक कड़ी चुनौती है। जहां पहले करीब 500 ग्राहक प्रतिदिन आते थे वहीं अब केवल 200 से 250 ही आ रहे हैं। प्रतिष्ठान के कर्मचारी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ग्राहकों को जागरूक करते रहते हैं। शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। साबुन व सैनिटाइजर से हाथ धुलने की व्यवस्था की गई है। सभी आने वाले ग्राहकों की थर्मल स्कैनिंग की जाती है और मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। बिना मास्क आने वालों का प्रवेश निषेध है।

डिजिटल प्लेटफार्म को बनाया माध्यम

जब अचानक बाजार बंद हुआ तो एक बार धंधा चौपट होने की कगार पर पहुंच गया था। पार्टी को समय से पेमेंट करना था, वह कर दिया था। लेकिन बिक्री प्रभावित होने से चिता होने लगी थी। दुग्ध की खपत भी करना एक चुनौती बन गया। इसके बाद डिजिटल लेनदेन के लिए खुद को तैयार किया। कर्मचारियों को अपडेट किया गया। गूगल प्लेटफार्म से प्रोडक्ट्स की जानकारी देने का काम किया जा रहा है। तकनीकी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। कैशलेस पेमेंट जैसे गूगल पे, कार्ड स्वैप आदि के माध्यम से ग्राहकों को सुविधा दी जा रही है। गूगल मैपिग का सहारा लेने की भी योजना तैयार हो रही है।

ग्राहकों की राय पर कर रहे अमल

लाकडाउन के दौरान ही व्यापार को संभालने की कार्ययोजना तैयार की। ग्राहकों से लगातार संवाद बनाए रखने के लिए कालिग, बल्क मैसेज और वाट्सएप का सहारा लिया। ई-कामर्स की चुनौती का सामना करने के लिए नई योजनाएं भी बना रहे हैं। लाकडाउन के पहले प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख रुपए का टर्नओवर था। तीन माह तक व्यापार प्रभावित होने से बुरा असर पड़ा। बंद के दौरान ही कार्ययोजना की तैयारी की। बाजार खुलते ही इस योजना को अमल में लाने की कवायद शुरु कर दी है। समय के साथ और बेहतर होने की संभावना है।


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