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देर से खुलता अस्पताल, स्टाफ भी मनमौजी

सिद्धार्थनगर : नए मंत्रिमंडल में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री बनाये गए क्षेत्रीय विधायक जय प्रताप स

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 11:46 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 11:46 PM (IST)
देर से खुलता अस्पताल, स्टाफ भी मनमौजी
देर से खुलता अस्पताल, स्टाफ भी मनमौजी

सिद्धार्थनगर : नए मंत्रिमंडल में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री बनाये गए क्षेत्रीय विधायक जय प्रताप सिंह स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए चितित हैं पर जिम्मेदार ही इलाज का जिम्मा ओढे़ स्वास्थ्य केंद्र को ही बीमार बना दिया है। खेसरहा विकास खण्ड के मरवटिया बाजार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इसकी बानगी है। यह अस्पताल सुबह के बजाय अक्सर आधे घंटे बाद ही खुलता है। चिकित्सक भी लेट आते हैं। इलाज कराने के लिए आने वाले मरीज चिकित्सक के न होने पर अक्सर लौट जाते हैं और किसी निजी चिकित्सालय में अपनी टेंट ढीली कर आते हैं।

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सुबह 8.30 पर यहां तैनात वार्ड ब्वाय ने अस्पताल के मुख्य गेट व अंदर के गेट का ताला खोला। जबकि इनके आने के पहले इलाज के लिए आयी एक महिला व बच्चा अस्पताल बंद देख वापस हो चुके थे। थोड़ी बहुत साफ-सफाई कर वार्ड ब्वाय बरामदे में पड़ी एक कुर्सी पे बैठ गए। अब तक 9 बज चुके थे। इसी दौरान इलाज कराने ग्राम रेहरा निवासी हरिशंकर ओझा यहां पहुंचते हैं। वह वार्ड ब्वाय से फार्मासिस्ट व चिकित्सक के बारे में पूछते हैं। अभी आ रहे होंगे यह बता वह मोबाइल में व्यस्त हो गए । अब 10 बज रहा था। एक घण्टे तक चिकित्सक की प्रतीक्षा करते थक चुके हरिशंकर ओझा बिना इलाज कराए ही वापस हो गए। 10.30 बजे तिकुइया निवासी राज चतुर्वेदी अपनी वृद्ध दादी को इलाज के लिए लेकर यहां पहुंचते हैं। वार्ड ब्वाय उन्हें देखने के लिए उठा था कि राज ने पूछ लिया चिकित्सक व फार्मासिस्ट क्या नहीं हैं। इस वार्ड ब्वाय का जवाब रहा कि आने वाले हैं। यह सुन यह भी अपनी दादी को लेकर बिना इलाज कराए वापस हो लिए। इसी के बाद ही केसवारे निवासी सुधा बुखार व पेट में दर्द की शिकायत लेकर यहां पहुंच गई। जिसे वार्ड ब्वाय ने देखा और दवाइयां दी। इन्होंने भी फार्मासिस्ट व चिकित्सक कब आएंगे यह पूछ चली गईं। अब 11 बज चुके थे पर अस्पताल पर न तो चिकित्सक डा संदीप राय पहुंच सके थे न ही फार्मासिस्ट मनोज श्रीवास्तव।

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यहां व्यवस्था भी जर्जर

आसपास के दो दर्जन से अधिक गांवों में निवास झरने वाली करीब 40 हजार आबादी के इलाज का जिम्मा उठाने वाले इस अस्पताल में व्यवस्थाओं का भी घोर अकाल है। अस्पताल में पीने लायक पानी की कोई व्यवस्था नहीं। एक अदद हैंडपंप तो दूर देशी नल भी इस परिसर में नहीं है। पूरा परिसर बड़ी -बड़ी झाड़ियों से ऐसा घिरा है। लोग दिन भी भयभीत रहते हैं। अस्पताल में पानी टंकी तो बनी है पानी सप्लाई के लिए विद्युत आपूर्ति ही नहीं हो सकी है। विद्युत उपकरण भी जंग खाकर गिर रहे हैं। पानी के अभाव शौचालय भी निष्प्रयोज्य साबित हो रहे हैं।

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प्रतिदिन 15 से 20 मरीज ही यहां आते

वार्ड ब्वाय एजाज अहमद कहते हैं कि यहां प्रतिदिन 15 से 20 मरीजों की ओपीडी रहती है। दवाएं सभी हैं पर मरीज का अकाल ही यहां रहता है।

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कुछ अस्पतालों पर बिजली की आपूर्ति न होने समस्या बनी हुई है। वैसे हम लिस्ट तैयार कर विद्युत विभाग को विद्युत कनेक्शन दिए जाने को लिख चुके हैं। अस्पताल के समय से न खुलने व चिकित्सकों व कर्मचारियों की लेट लतीफी की तो मैं औचक निरीक्षण दोषी पर कार्रवाई जरूर करूंगा।

डा .आरके मिश्रा

सीएमओ, सिद्धार्थनगर


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