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हैंडओवर हुआ नहीं, अस्पताल के टूट गए खिड़की-दरवाजे

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा बदहाल है। नजीर के लिए बहादुरपुर क्षेत्र का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पाल्हा काफी है। करीब 13 वर्षों से बिना हैंडओवर हुए अधूरे भवन में अस्पताल संचालित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 11:09 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 06:09 AM (IST)
हैंडओवर हुआ नहीं, अस्पताल के टूट गए खिड़की-दरवाजे
हैंडओवर हुआ नहीं, अस्पताल के टूट गए खिड़की-दरवाजे

बस्ती : ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा बदहाल है। नजीर के लिए बहादुरपुर क्षेत्र का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पाल्हा काफी है। करीब 13 वर्षों से बिना हैंडओवर हुए अधूरे भवन में अस्पताल संचालित हो रहा है। आश्चर्य की बात यह है डेढ़ साल से अस्पताल में चिकित्सक नहीं हैं। खिड़की व दरवाजे टूटकर गायब भी होने लगे हैं।

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लाखों की लागत से बनाया नया भवन अभी तक विभाग को हैंडओवर नहीं हो सका है। अस्पताल के कुछ हिस्से अभी भी अधूरे हैं। बताया जा रहा है कि इसी के चलते भवन हैंडओवर नहीं हो पा रहा है। फिलहाल बदहाल अस्पताल के बीच मरीजों का इलाज जैसे-तैसे हो रहा है। फार्मासिस्ट अशोक कुमार श्रीवास्तव ही मरीजों को दवा देते हैं। फार्मासिस्ट के अलावा चार और कर्मचारी तैनात हैं। चिकित्सक आवास, फार्मासिस्ट कक्ष, लैब टेक्नीशियन कक्ष, चाहरदीवारी, पेयजल टैंक अधूरा है।

ग्रामीणों के सपने नहीं हो पा रहे साकार :

अस्पताल निर्माण के समय ग्रामीणों में आस जगी थी कि अब उन्हें दवा व इलाज के लिए जिला अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा और गांव में ही सरकारी सेवा का लाभ मिलेगा। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते अस्पताल बदहाल होता जा रहा है। हैंडओवर होने से पहले ही खिड़कियां, दरवाजे टूट चुके हैं।

अफसर नहीं सुन रहे बात

पाल्हा ग्राम प्रधान कृष्णेंद्र यादव उर्फ लालजी कहना है कि अस्पताल तो खुला है, लेकिन इसका लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है। चूंकि लंबे समय से चिकित्सक की तैनाती हुई नहीं है। चिकित्सक की तैनाती के लिए कई बार पत्र लिख चुके हैं, पर कोई अफसर नहीं सुन रहा है।

कुछ कार्य अधूरा होने के चलते भवन हैंडओवर नहीं हो पाया है। चिकित्सक की तैनाती जल्द की जाएगी, ताकि लोगों को इसका लाभ मिले।

डा. जेपी त्रिपाठी, सीएमओ।


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