बुद्धि कौशल से गणपति हुए प्रथम पूज्य के अधिकारी
देवताओं व ऋषियों ने भगवान शिव से पूछा कि हे महादेव ऐसे कौन देवता हैं जिनकी पूजा सबसे पहले यज्ञ अनुष्ठानों में होनी चाहिए। भगवान शिव सभी को लेकर नारायण श्री हरि के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने कहा कि जो भी सभी लोको का भ्रमण सबसे पहले पूर्ण कर लेगा वही विजेता होगा और उसे ही प्रथम पूज्य का अधिकार दिया जाएगा।
सिद्धार्थनगर : देवताओं व ऋषियों ने भगवान शिव से पूछा कि हे महादेव ऐसे कौन देवता हैं जिनकी पूजा सबसे पहले यज्ञ अनुष्ठानों में होनी चाहिए। भगवान शिव सभी को लेकर नारायण श्री हरि के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने कहा कि जो भी सभी लोको का भ्रमण सबसे पहले पूर्ण कर लेगा वही विजेता होगा और उसे ही प्रथम पूज्य का अधिकार दिया जाएगा। प्रतियोगिता प्रारंभ हुई सभी देवता अपने-अपने वाहनों के साथ लोको की प्रदक्षिणा को निकल गए। पार्वती पुत्र गणेश जी के वाहन मूषक राज थे, जिनकी गति बहुत कम थी। श्री गणेश ने विचार किया कि ऐसे तो मैं इस प्रतियोगिता में सबसे पीछे रह जाऊंगा। तो उन्होंने कैलाश पर्वत की प्रदक्षिणा प्रारंभ की जहां महादेव व माता पार्वती आसीन थे। सात परिक्रमा पूरी कर वह बैठ गए। इधर अन्य देव जब परिक्रमा पूरी कर वापस लौटे तो कहा कि गणेश जी तो परिक्रमा करने गए ही नहीं इसलिए यह प्रतियोगिता से बाहर माने जाएं। लेकिन भगवान नारायण ने कहा गणेश ने माता-पिता की सात बार परिक्रमा की है। माता-पिता में ही समस्त लोको का वास होता है। इसलिए प्रथम पूजन की अधिकार गणेश जी को मिला। आज भी जहां यज्ञ, अनुष्ठान और प्रवचन होते हैं सर्व प्रथम विध्नहर्ता गणेश जी का ही पूजन किया जाता है। उक्त बातें पंडित राकेश शास्त्री ने कहीं। वह नगर पंचायत डुमरियागंज के आजादनगर मोहल्ला स्थित काली मंदिर परिसर में संगीतमयी श्रीराम कथा का रसपान करा रहे थे। शनिवार रात्रि की कथा में उन्होंने भगवान गणेश के सभी स्वरूपों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। गणेश जी गजानन कैसे हुए और महाभारत जैसे महान ग्रंथ को लिखने में कैसे वेद व्यास की मदद की इसपर भी प्रकाश डाला। उदय राज यादव, मगन पांडेय, दुखी यादव जोखूराम, श्याम यादव, अनिल, अजय पंडित आदि मौजूद रहे।