कोरोना से व्यवसाय ठप, डिजिटल प्लेटफार्म ने संभाला
ढाई दशक पूर्व कम पूंजी से व्यवसाय की शुरुआत करने वाले विधाता इंटर प्राइजेज के प्रोपराइटर संजय जायसवाल ने कोरोना संक्रमण के दौर में बहुत नुकसान उठाया। अब कार्ययोजना की प्लानिग और डिजिटल लेनदेन को आधार बनाकर कर व्यवसाय को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।
सिद्धार्थनगर जेएनएन : ढाई दशक पूर्व कम पूंजी से व्यवसाय की शुरुआत करने वाले विधाता इंटर प्राइजेज के प्रोपराइटर संजय जायसवाल ने कोरोना संक्रमण के दौर में बहुत नुकसान उठाया। अब कार्ययोजना की प्लानिग और डिजिटल लेनदेन को आधार बनाकर कर व्यवसाय को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। सालाना 15 से 20 करोड़ का व्यापार कर रहे हैं। पंद्रह कामगारों को रोजगार भी दे रहे हैं। लाकडाउन के दौरान जब बाजार बंद थे तो इनकी जीविका को भी सहारा भी दिया। कामगारों को रोजगार से जोड़े रखा। व्यवसाय में नुकसान होने पर भी कामगारों को सहारा दिया। कोरोना संक्रमण में आई चुनौतियों का सामना करने के लिए गूगल और डिजिटल प्लेटफार्म को माध्यम बनाया। अब बाजार के अच्छे दिन आने की संभावना बनने लगी है।
संजय जायसवाल बताते हैं कि लाकडाउन के पहले व्यापार अच्छा-खासा चल रहा था। बाजार में ग्राहक आ रहे थे। अचानक से बाजार बंद होने के कारण बहुत नुकसान हुआ। मार्च में इक्कीस दिन के लाकडाउन से नुकसान थोड़ा हुआ। लेकिन अप्रैल-मई में बाजार बंद रहने से काफी नुकसान हुआ। धंधे का उच्चतम सीजन यहीं होता है। गोदाम में एसी, कूलर, पंखा आदि सामान डंप हो गया। कितने दिनों तक बाजार बंद रहेगा, इसका कोई अंदाजा भी नहीं था। इससे व्यापार के लिए खतरा बढ़ गया था। लेनदेन ठप हो गया। कर्ज का बोझ भी बढ़ने लगा। अनलाक के प्रथम चरण से बाजार उठने लगा। अब आगे और बेहतर होने की संभावना है। बाजार औंधे मुंह गिरता देख तकनीकी के साथ चलने का फैसला किया। डिजिटल लेनदेन के लिए खुद को तैयार किया। कर्मचारियों को अपडेट किया गया। वाट्सएप ग्रुप बनाकर नियमित ग्राहकों को जोड़ा। गूगल प्लेटफार्म से प्रोडक्ट्स की जानकारी देना शुरू कर दिया। इससे ग्राहक को सुविधा हुई। तकनीकी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। सामाजिक दूरी का पालन होता रहे इसके लिए कैशलेस पेमेंट जैसे फोन पे, गूगल पे, पे टीम,कार्ड स्वैप आदि के माध्यम से ग्राहकों को सुविधा देने की कोशिश जारी है। लाकडाउन के दौरान बेहतर कार्ययोजना की तैयारी की। ग्राहकों और कर्मचारियों को डिजिटल प्लेटफार्म जैसे गूगल मीट पर जोड़ा। समय समय पर सभी से गूगल मीट के माध्यम से संवाद भी किया गया। प्रोडक्ट की जानकारी साझा की गई। नए नए आफर के बारे में भी बताया गया। आने जाने पर रोक के कारण कर्मचारियों को आनलाइन ही दिशा निर्देश दिया जाने लगा। स्वयं के साथ परिवार को भी संक्रमण से बचाने की चुनौती थी। अनलाक के प्रथम चरण में बाजार के पास कई संक्रमित मिले। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को कटेंनमेंट एरिया घोषित कर दिया। रास्ता बंद होने के कारण ग्राहकों का आना जाना रुक गया। कंटेंमेंट एरिया में दुकानें बंद रखने की भी मजबूरी थी। सामाजिक दायरा होने के कारण बाहर निकलना भी जरूरी था। कोविड-19 के नियमों का पालन कर खुद को और परिवार समेत कामगारों को संक्रमण से बचाया। सभी आने जाने वालों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। बाजार खुलने के बाद भी ग्राहकों के मन मे कोरोना का भय व्याप्त है। व्यवसाय को पटरी पर लाना एक कड़ी चुनौती है। जहाँ पहले ग्राहकों के आने की भारी तादाद रहती थी, वहीं अब केवल 40 से 45 ही आते हैं। प्रतिष्ठान के कर्मचारी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ग्राहकों को जागरूक करते रहते हैं। शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। सभी आने वाले ग्राहकों की थर्मल स्कैनिंग और मास्क अनिवार्य है। बिना मास्क आने वालों का प्रवेश निषेध है।
ग्राहकों के फीडबैक से लाकडाउन में ही शुरू की कार्य योजना
लाकडाउन के दौरान ही व्यापार को संभालने की कार्ययोजना तैयार की। ग्राहकों से लगातार संवाद बनाये रखने के लिए कालिग, बल्क मैसेज और वाट्सएप का सहारा लिया गया। ई- कामर्स की चुनौती का सामना करने के लिए नई योजनाएं भी बना रहे हैं। लाकडाउन के पहले प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख रुपए का टर्नओवर था। तीन माह तक व्यापार प्रभावित होने से इसपर असर पड़ा है। बंदी के दौरान ही कार्ययोजना की तैयारी की। बाजार खुलते ही कार्ययोजना की प्लानिग से धीरे धीरे और बेहतर होने की संभावना है।