चालक-परिचालक की कमी से परिवहन सेवा ध्वस्त
चालक-परिचालकों की कमी से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की सेवा ध्वस्त हो गई है। हालात इतने खराब हैं कि शाम छह बजे के बाद डिपो पर सन्नाटा पसर जाता है। गोरखपुर जाना हो या बस्ती या फिर डुमरियागंज, कहीं के लिए कोई बस नहीं मिलती है। प्राइवेट वाहनों से सफर करना मजबूरी बन चुकी है। इससे परिवहन निगम को राजस्व की क्षति भी उठानी पड़ रही
सिद्धार्थनगर: चालक-परिचालकों की कमी से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की सेवा ध्वस्त हो गई है। हालात इतने खराब हैं कि शाम छह बजे के बाद डिपो पर सन्नाटा पसर जाता है। गोरखपुर जाना हो या बस्ती या फिर डुमरियागंज, कहीं के लिए कोई बस नहीं मिलती है। प्राइवेट वाहनों से सफर करना मजबूरी बन चुकी है। इससे परिवहन निगम को राजस्व की क्षति भी उठानी पड़ रही है।
सिद्धार्थनगर डिपो में कुल 46 बसों का बेड़ा है जबकि कभी यहां 70 बसें हुआ करती थीं। जो बसें संचालित हैं, उनकी हालत भी ठीक नहीं है। यदि बसें खराब हुईं तो बाहरी मैकेनिक बुलाकर काम लिया जाता है। कर्मचारियों की कमी से पूछताछ केंद्र पर सन्नाटा रहता है। निगम के पास बसों के सापेक्ष 17 चालक कम हैं। विभाग के मुताबिक कुल 97 चालक व इतने ही परिचालक की जरूरत है। इनके सापेक्ष 80 चालक व 79 परिचालक ही नियुक्त हैं। इनमें अधिकांश कर्मचारी संविदा के हैं। स्थायी कर्मचारी न होने से विभाग को परेशानी होती है।
...........
चालक-परिचालक कम होने से बस संचालन में दिक्कत आती है। फिर भी सभी बसों को चलाने की भरपूर कोशिश की जाती है। स्टाफ के लिए मुख्यालय के माध्यम से शासन को अवगत कराया जा चुका है।
एसके सेठ, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक
सिद्धार्थनगर डिपो