ध्वस्त होने की कगार पर अंग्रेजों का पुल
कस्बा से सट कर बह रहे डोई नाला पर बना लकड़ी का पुल (पायल ब्रिज) ध्वस्त होने कगार पर है
सिद्धार्थनगर : कस्बा से सट कर बह रहे डोई नाला पर बना लकड़ी का पुल (पायल ब्रिज) ध्वस्त होने की कगार पर है। विभागीय उदासीनता के कारण पुल की लकड़ियां खराब होने लगी है। करीब एक शताब्दी पुराने इस लकड़ी के पुल का कोई पुरसाहाल नहीं है। पैदल गुजरने में भी लोगों के मन में भय समाया रहता हैं। इस पुल का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में हुआ था। काला नमक चावल के व्यापार को मद्देनजर रखते हुए अंग्रेज जमींदारों ने निर्माण कराया था।
ब्रिटिश शासन काल में तत्कालीन चांदापार (शोहरतगढ़) नगर के किनारे से बहने वाले डोई नाला पर लकड़ी का पुल बनाया गया था। पुल बनाने का उद्देश्य रहा कि तराई अंचल में पैदा होने वाले काला नमक चावल को बाजार में सुगमता से पहुंचाया जाए। इसी मार्ग से काला नमक चावल बाजारों में भेजा जाता रहा। इस पुल से लोग खुनुवा, रमवापुर, गौरा बाजार,, पल्टा देवी मंदिर, बर्डपुर आदि स्थानों पर जाने के लिए करते रहे। समय बीतने के साथ पुल पर आवागमन भी बढ़ गया। वर्तमान समय में हजारों की संख्या में लोग रोजाना इस पुल से आवागमन करते है। दुर्गा पूजा के समय क्षेत्र की प्रतिमाएं इसी पुल के माध्यम से गुजरती है। यहीं पर ही इनका विसर्जन किया जाता है। विभाग ने करीब दस वर्ष पूर्व से भारी वाहनों के आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बावजूद लोग जोखिम उठा कर इस पुल का प्रयोग कर रहे है। जब पुल की पटरियां हिलती है तो राहगीरों को पसीने छूटने लगते है। क्षेत्रीय जनता की मांग पर विभाग ने वर्ष 2011-12 में इसका मरम्मत कार्य कराया था। वर्षों पुरानी लकड़ी पर बना यह पुल जर्जर हो चुका हैं। किसी अनहोनी की आशंका हमेशा बनी रहती है। क्षेत्रीय ग्रामीण धनुर्धर प्रताप ¨सह कहते हैं की पुल पुरी तरह से जर्जर हो चुका है इसे बनवाने की पहल होनी चाहिए। जिससे जनता को आवागमन में सुविधा मिल सके। राम मिलन चौधरी कहते है कई बार विभाग से मरम्मत कराने के लिए कहा गया। अभी तक कार्रवाई नहीं की गई। एसडीएम शोहरतगढ़ अनिल कुमार ने कहा कि जनता की आवश्यकता को देखते हुये पुल को बनवाने के लिए उच्चाधिकारियों से वार्ता की जायेगी।