मातृभाषा जीवन का अभिन्न हिस्सा
राजकीय महाविद्यालय पचमोहनी में मातृ भाषा दिवस पर परिचर्चा एवं वाद-विवाद प्रतियोगता का आयोजन किया गया। विद्यालय के छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया।
सिद्धार्थनगर: राजकीय महाविद्यालय पचमोहनी में मातृ भाषा दिवस पर परिचर्चा एवं वाद-विवाद प्रतियोगता का आयोजन किया गया। विद्यालय के छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया। परिचर्चा एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता की शुरूआत मातृ भाषा के संक्षिप्त परिचय के साथ हुआ। जिसमें भाषाओं की शैली आदि की जानकारी दी गई।
जिसमें छात्रों ने कहा कि मातृ भाषा जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जन्म से बच्चे अपनी माता और परिवार की भाषा सीखते हैं, यह भाषा अन्य के लिए अपरचित भाषा हो सकती है। भारत में कुल 1500 से अधिक भाषा है। जिसको भारतवासी बोलते हैं। यह उनकी अपनी मातृ भाषा है। जिस प्रकार सिद्धार्थनगर और मथुरा के लोगों की अपनी-अपनी बोलचाल की मातृ भाषा है। शोध में पाया गया है जो बच्चे मातृ भाषा के साथ अन्य भाषा बोलते हैं वो दूसरों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान होते हैं। मातृ भाषा दिवस यूनेस्को की पहल पर वर्ष 2000 से मनाया जाता है। वाद-विवाद में जूही, लक्ष्मी, मरियम, नेहा त्रिपाठी, पवन पाण्डेय, प्रियंका यादव, शैल कुमारी पाण्डेय ने परिचर्चा में प्रतिभाग किया। शहजादी, प्रियंका जायसवाल, सना खातून, करिश्मा मिश्रा, सचिन, सुदर्शन, संगीता, मनीषा व साक्षी शुक्ला, निसार, श्रद्धा ने वाद-विवाद के माध्यम से मातृ भाषा के महत्व और इसकी उपयोगिता को बताया। प्राचार्य डा. महेन्द्र प्रकाश ने अपने विचार रखे। संचालन डा. अजय कुमार सोनकर ने किया। संतोष, शब्बीर आदि उपस्थित रहे।