15 लाख लोगों के नेत्र व कान होते हैं प्रभावित
एक पटाखा के बारूद को बनाने में पोटेशियम 75 सीओ-टू का 15 व सल्फर का दो फीसद मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके फूटने के बाद इनमें से सल्फर डाई आक्साइड कार्बन डाई आक्साइड कार्बन मोनो आक्साइड नाइट्रोजन के आक्साइड निकलते हैं। नेत्रों पर सीधा असर पड़ता है।
सिद्धार्थनगर: एक पटाखा के बारूद को बनाने में पोटेशियम 75, सीओ-टू का 15 व सल्फर का दो फीसद मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके फूटने के बाद इनमें से सल्फर डाई आक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन के आक्साइड निकलते हैं। नेत्रों पर सीधा असर पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के आकड़ों के अनुसार प्रति वर्ष दीपावली के बाद करीब 15 लाख लोगों के देखने व सुनने की शक्ति पर असर पड़ता है।
सीएचसी प्रभारी बर्डपुर डा. सुबोध चंद्रा ने कहा कि तेज आवाज वाले पटाखा की आवाज से हृदय रोग से ग्रसित मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अचानक तेज आवाज से वह चौंक जाते हैं, दिल की धड़कन भी बढ़ जाती है। पटाखों से निकलने वाले रासायनिक धुएं का दुष्प्रभाव दमा रोगियों पर पड़ता है।
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. अमित उपाध्याय ने कहा कि दीपावली में पटाखा की तेज आवाजों से ह्दय पर प्रतिकूल असर पड़ता है। महिलाओं को चाहिए कि जब पटाखा बजने लगे तो छोटे बच्चों को कमरे में रखें। दरवाजा बंद रखें। यथासंभव अपने पास रखे, जिससे वह असुरक्षित न महसूस कर सके।