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नींद से जागे अफसर, फिर बने कोई बात

सिद्धार्थनगर : सीतापुर के विधायक रामपाल यादव के अवैध निर्माण को गिरा कर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भले

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 10:41 PM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 10:41 PM (IST)
नींद से जागे अफसर, फिर बने कोई बात

सिद्धार्थनगर : सीतापुर के विधायक रामपाल यादव के अवैध निर्माण को गिरा कर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भले ही सरकार की शाबाशी पा ली हो, लेकिन डुमरियागंज में शहर हो या ग्रामीण अंचल यहां अवैध कब्जों को ढहाना तहसील अथवा नगर प्रशासन के लिए आसान काम नहीं है। शहर में सरकारी भूमि पर विभिन्न पार्टियों के बाकायदा कार्यालय तक बने हैं, दर्जनों दुकानें प्रतिदिन सज रही हैं, यही नहीं नजूल की जमीन पर भी दर्जनों मकान बने हुए हैं। सड़क के फुटपाथ पर भी आलीशान मकान खड़े किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों तालाब व पोखरे का वजूद ही अतिक्रमण ने खत्म कर रखा है। यहां चकरोड़, खेल कूद मैदान कुछ भी अवैध कब्जे से अछूता नहीं है। जिम्मेदार अफसर हैं कि उनकी नींद टूटती ही नहीं है, ऐसे में भला यह स्थान कैसे अतिक्रमण मुक्त हों, यह ऐसा सवाल है जिसका उत्तर पा लेना आसान नहीं होगा।

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डुमरियागंज नगर पंचायत की बात करें, तो यहां नजूल की जमीन पर दर्जनों मकान बने हुए हैं। नौखान के किनारे सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा है। बढ़नी मार्ग व मंदिर से थाने पर जाने वाली सड़क की पटरियों पर पक्के निर्माण से कब्जा है। पीएचसी यानी सरकारी अस्पताल के कुछ हिस्से पर अवैध कब्जा कर लिया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में नजर दौड़ाएं तो यहां भी अतिक्रमण का बोलबाला है। पोखरा काजी में तालाब का वजूद अवैध कब्जे के चलते सिमट गया है। यहां के ग्राम प्रधान नीरज धर दुबे का कहना है कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत की, मगर प्रशासन इस दिशा में गंभीर कदम नहीं उठा रहा है। यदि क्षेत्र में तालाबों की संख्या पर गौर करें तो इसकी तादाद दो हजार से अधिक है। इसमें सिर्फ डुमरियागंज ब्लाक में आठ सौ से ऊपर तालाब व पोखरे स्थित हैं। इनमें दर्जनों तालाब का वजूद अतिक्रमण ने खत्म कर रखा है। हल्लौर में खेल कूद के मैदान पर अतिक्रमण है। इंतजार कदर समेत आधा दर्जन नागरिकों ने इसकी शिकायत तहसील प्रशासन से की, परंतु नतीजा फिलहाल सिफर रहा है। तहसील अन्तर्गत ग्राम सोतवा में चकरोड़ संख्या 174 पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। गांव के सहाबुद्दीन ने इसकी शिकायत की, मगर कोई कार्यवाही नहीं की गई।

कहना गलत न होगा कि अवैध कब्जे वाले स्थान तो सैकड़ों हैं, परंतु कार्रवाई के नाम पर प्रशासन पूरी तरह लाचार नजर आ रहा है।


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