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नींद को तरस रहीं आंखें

सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र में बिजली संकट से हाहाकार मचा हुआ है। विभाग द्वारा आपूर्ति का कोई शेडयू

By Edited By: Published: Wed, 30 Sep 2015 09:47 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2015 09:47 PM (IST)
नींद को तरस रहीं आंखें

सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र में बिजली संकट से हाहाकार मचा हुआ है। विभाग द्वारा आपूर्ति का कोई शेडयूल नहीं है, ऊपर से अघोषित कटौती ने रात की नींद व दिन का सुकून छीन लिया है। शिकायत के बाद भी कोई ध्यान न दिए जाने से समस्या दिन प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है, बावजूद जिम्मेदार मौन हैं।

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विद्युत उपकेंद्र इटवा द्वारा कस्बा समेत बिस्कोहर, गोल्हौरा, पचमोहनी फीडर के माध्यम से पूरे क्षेत्र में बिजली सप्लाई की जाती है। पिछले माह से ही लोगों को बिजली के लिए तरसना पड़ रहा है। बगैर शेडयूल के बिजली आई भी तो लो-वोल्टेज की भेंट चढ़ गई। कोड द्वारा जारी आपूर्ति के दौरान अघोषित कटौती का सामना करना पड़ रहा है। जबकि क्षेत्र में सरकारी दफ्तरों के अलावा बैंक समेत कई सरकारी व गैर सरकारी प्रतिष्ठान स्थित हैं। बरसात न होने से पड़ रही उमस भरी गर्मी में बिजली संकट झेल रहे उपभोक्ता विभाग समेत क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों को कोसने को विवश हैं। रात में बिजली के दर्शन होते नहीं, दिन में कब आएगी और कब चली जाएगी किसी को नहीं मालूम। क्षेत्रीय लोगों में अजय जायसवाल, रवि कुमार का कहना है कि वर्तमान में बिजली समस्या काफी गंभीर हो गई है। लाख शिकायत करो कोई सुनवाई नहीं होती है। मो. रफीक, राजाराम यादव का कहना है कि बिजली न आने से घर में रखे सभी विद्युत उपकरण खराब हो रहे हैं, वहीं मोबाइल तक चार्ज करने में समस्या आ रही है। सच्चिदानंद मिश्र, राम भवन का कहना है कि विभाग द्वारा सुविधा मिलती नहीं, ऊपर से बिजली बिल जमा करने का दबाव बनाया जाता है। नीलम वर्मा, गुड़िया का कहना है कि दिन तो किसी तरह कट जाता हे, मगर पूरी रात जाग कर बितानी पड़ती है। गर्मी के चलते छोटे-छोटे बच्चों को सुलाने के बाद हाथ से पंखा करने की मजबूरी है।

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बिजली आपूर्ति ऊपर से ही कम मिल रही है। जितनी मिलती है उसे देने का प्रयास रहता है। कटौती कंट्रोल रूम से ही की जाती है, स्थानीय स्तर से कुछ नहीं होता है।

वीपी सिन्हा

अवर अभियंता विद्युत, इटवा


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