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लोकार्पण के बाद भी नहीं बजी घंटी

सिद्धार्थनगर : जनपद बनने के 29 वर्ष बाद उच्च शिक्षा के क्षेत्र कदम बढ़े भी, पर आगे नहीं बढ़ सके। जिल

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 10:49 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 10:49 PM (IST)
लोकार्पण के बाद भी नहीं बजी घंटी

सिद्धार्थनगर : जनपद बनने के 29 वर्ष बाद उच्च शिक्षा के क्षेत्र कदम बढ़े भी, पर आगे नहीं बढ़ सके। जिला मुख्यालय समेत डुमरियागंज तहसील मुख्यालय पर निर्मित राजकीय इंटर कालेज का लोकार्पण मुख्यमंत्री द्वारा किये जाने के एक वर्ष बाद भी स्कूलों में पढ़ाई को कौन कहे, ताला तक नहीं खुल सका।

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जनपद बनने के बाद उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की उम्मीद थी, पर संसाधन बढ़ने के बजाए घटते ही जा रहे हैं। लिहाजा बुद्ध भूमि उच्च शिक्षा के मामले में शासन से दया की भिक्षा मांग रही है। समय रहते उच्च शिक्षा के लिए साधन व संसाधन न बढ़े तो वह दिन दूर नहीं जब रही सही व्यवस्था भी ध्वस्त होने से कोई रोक नहीं सकेगा।

बेहतर व गुणवत्तापरक शिक्षा देने के उद्देश्य से जिला मुख्यालय व डुमरियागंज तहसील मुख्यालय पर मल्टीसेक्टोरल योजना के तहत राजकीय कन्या इंटर कालेज का भवन तो तैयार होकर विभाग को हैंडओवर भी हुआ। 30 अक्टूबर 2013 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कपिलवस्तु में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के शिलान्यास के साथ ही दोनों इंटर कालेजों का लोकार्पण भी किया था। एक वर्ष बाद भी इन कालेजों में पढ़ाई को कौन कहे, पदों का सृजन तक नहीं हो सका। लिहाजा स्कूल के मुख्य गेट पर ताला लटका हुआ है।

उच्च शिक्षा का दुर्गति इस कदर है कि इसका अंदाजा जनपद में उपलब्ध संसाधनों से सहज ही लगाया जा सकता है। वित्त पोषित जिले के 48 इंटर स्तरीय विद्यालयों में से 20 स्कूलों में एलटी ग्रेड के 163 पद रिक्त चल रहे हैं। जबकि 8 विद्यालयों में प्रवक्ताओं के 48 पद खाली पड़े हुए हैं। सर्वाधिक बुरी स्थिति तो बालिका शिक्षा की है। जिले में स्थापित तीनों राजकीय कन्या इंटर कालेजों में दो दशक से प्रधानाचार्यो का पद भरा नहीं जा सका है। कार्यवाहक के रूप में प्रवक्ताओं से काम चलाया जा रहा है। तीनों कालेजों में एलटी के 39 पदों के सापेक्ष सिर्फ 13 की तैनाती है। शेष पद रिक्त चल रहे हैं। प्रवक्ता के 20 पदों के सापेक्ष सिर्फ 6 ही तैनात हैं। इन कालेजों में शिक्षिकाओं समेत संसाधनों की घोर कमी के कारण अभिभावक भी बालक-बालिका के संयुक्त स्कूल में ही दाखिला कराने को विवश हैं।

स्कूल का न चलना दुर्भाग्यपूर्ण

अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में लिए भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत राजकीय इंटर कालेज का निर्माण होने के बाद पढ़ाई न होना दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री के लोकार्पण पर भी पदों का सृजन न होना चिंताजनक है। लोकसभा चुनाव के पूर्व तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ए. रहमान का कार्यक्रम लगने के बाद भी स्कूल का उद्घाटन कराने से शासन-प्रशासन कन्नी काट गया था। लिहाजा सभा तक ही सीमित रहा।

जगदम्बिका पाल

सांसद, डुमरियागंज

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''राजकीय इंटर कालेज के संचालन को लेकर गंभीरता से प्रयास हो रहे है। समय-समय पर उच्च स्तर पर बैठकों के साथ अलावा अलग से भी कालेजों में पद सृजन को लेकर पत्र व्यवहार किया जा रहा है। पद सृजन होने व शिक्षणेत्तर कर्मियों की तैनाती के बाद ही विद्यालय का संचालन किया जाना संभव है।''

डा. बृजभूषण मौर्य

जिला विद्यालय निरीक्षक, सिद्धार्थनगर


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