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ड्रीम बन कर रह गया ड्रेन

सिद्धार्थनगर : सदियों पूर्व राप्ती नदी के स्थान परिवर्तित करने के बाद से ताल का रूप धारण कर चुकी क्ष

By Edited By: Published: Tue, 14 Oct 2014 10:39 PM (IST)Updated: Tue, 14 Oct 2014 10:39 PM (IST)
ड्रीम बन कर रह गया ड्रेन

सिद्धार्थनगर : सदियों पूर्व राप्ती नदी के स्थान परिवर्तित करने के बाद से ताल का रूप धारण कर चुकी क्षेत्र के सैकड़ों गांवों की हजारों हेक्टेयर भूमि को कृषि के अनुकूल बनाने के लिए बनी सिकटा ड्रेन परियोजना किसानों के लिए ड्रीम बनकर रह गई। दो दशक पूर्व बनी यह योजना नहर विभाग की फाइलों में गुम हो चुकी है। योजना से खुश क्षेत्र के किसान अब फिर अपने भाग्य को कोस रहे हैं।

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डेढ़ सौ वर्ष पूर्व राप्ती नदी पथरा क्षेत्र के मेंही ताल से होते हुए पेड़ार व विशुनपुरवा के बीच से होकर बहती थी। वहां से निकल कर यह बांसी स्थित शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित पुल से होकर गुजरती थी। कालांतर में स्थान परिवर्तित कर लेने से उक्त क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर जमीन जल जमाव का केन्द्र बनी। इससे 10 किमी परिधि में आने वाले दो सौ से अधिक गांव किसानों की खेती पर भी ग्रहण लग गया। हल्की बरसात हो या फिर बाढ़ दोनों से इस पूरे भूभाग में की जाने वाली खेती पूरी तरह प्रभावित होती है। पूंजी लगाने के बाद भी उपज न मिलने से क्षेत्र का किसान हमेशा तंग हाल बना रहता है। इसी समस्या के दृष्टिगत वर्ष 1998-99 में सरयू नहर खंड द्वारा ड्रेन निर्माण कर जल जमाव से मुक्ति की योजना बनाई गई। योजना पर दो वर्ष में कार्य शुरू भी हो गया। इसमें जमीन की नपाई के साथ ही जगह जगह पुलों के निर्माण में डेढ़ करोड़ से ऊपर का व्यय भी हुआ। अफसोस, कुछ ही समय बाद पूरी योजना पैसों के अभाव में ठप हो गई। बनाये गये पुल आज भी जहां ड्रेन की राह जोह रहे हैं, वहीं क्षेत्र के किसान अपनी किस्मत को कोसते नजर आ रहे हैं। क्षेत्र के राम निहोरी, दयाराम, संकटा सुरेन्द्र सिंह, त्रयंबक मणि त्रिपाठी, नरेन्द्र लाल आदि का कहना है कि ड्रेन की योजना से लगा था कि सदियों पुरानी ये समस्या अब खत्म हो जायेगी। किंतु जिम्मेदारों की अनदेखी इसमें आडे़ आ गई।

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''इस ड्रेन के विषय में हमें जानकारी नहीं है। यह योजना कब बनी थी इस पर हमें विभागीय छानबीन करनी पडे़गी। वैसे बुद्धा ड्रेन के नाम से एक नाला बन चुका है जो पथरा ताल से निकलकर बुद्धा नाले में मिल जाता है। रही बात इस ड्रेन की तो इस पर हम विभाग से जानकारी ले कर ही कुछ कह सकते हैं।''

आरके मिश्रा

अधिशाषी अभियंता, सरयू नहर, बांसी


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