..आखिर कब सुधरेगी नौनिहालों की सेहत
श्रावस्ती : टीकाकरण के मामलों में फिसड्डी इस जिले में बाल स्वास्थ्य की तस्वीर बेहद भयावह है। लेकिन इ
श्रावस्ती : टीकाकरण के मामलों में फिसड्डी इस जिले में बाल स्वास्थ्य की तस्वीर बेहद भयावह है। लेकिन इसके बाद भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर से आंखें मूंदे बैठे हैं।
आगामी 26 नवंबर से जिले में मीजल्स-रुबेला टीकाकरण अभियान चलना है। इस अभियान के तहत पांच से 14 साल तक की उम्र के बच्चों और किशोरों को खसरा से बचाने के लिए टीका लगाया जाना है। शासन के स्पष्ट निर्देश भी हैं कि इस अभियान का व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाए। लेकिन जिले में इस अभियान को लेकर जो भी प्रचार-प्रसार किया गया है, वह सरकारी फाइलों तक ही सिमटा है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार जिले के 87.7 फीसद बच्चों को बीसीजी, खसरा और पोलियो से बचाव की दवा नहीं मिल पाती है। इसी तरह 72.6 प्रतिशत बच्चों को काली खांसी और 83.9 प्रतिशत बच्चों को हेपेटाइटिस बी से बचाव की खुराक से वंचित रहना पड़ता है। मात्र 37.3 प्रतिशत बच्चों को खसरे से बचाव का टीका लगता है। यही वजह है कि जिले में कुपोषित और कमजोर बच्चे जन्म ले रहे हैं। गौरतलब बात तो यह भी है कि इनमें जन्म के बाद भी सेहत महकमा इन बच्चों को स्वस्थ बनाने की दिशा में लचर रवैया ही अपनाता है। इस बाबत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीके सिंह का कहना है कि लोगों के स्वास्थ्य को लेकर विभाग बेहद संजीदा है। मीजल्स-रुबेला टीकाकरण अभियान को लेकर विभागीय बैठकों के साथ ही आमजन और धर्म गुरुओं के साथ भी बैठक कर उनसे अपील की गई है कि वह इस टीकाकरण में अपनी सहभागिता दें।