अवैध कटान से सिमट रहा संरक्षित वन क्षेत्र का दायरा
नेपाल सीमा से सटे सोहेलवा जंगल में बेशकीमती पेड़ों पर चल रहा आरा धड़ल्ले से हो रही अवैध कटान विभाग से साठगांठ कर चांदी काट रहे वन माफिया
श्रावस्ती : नेपाल सीमा से सटे तराई के जिले में हरियाली यहां की पहचान है। अब इस पर वन माफिया की काली नजर लग गई है। संरक्षित वन क्षेत्र सोहेलवा में हरे पेड़ों पर बेखौफ आरा चलाया जा रहा है। जिम्मेदारों से साठगांठ कर वन माफिया चांदी काट रहे हैं। खैर, साखू व सागौन जैसी बेशकीमती पेड़ों की लकड़ियां आसानी से जंगल से बाहर निकाली जा रही हैं। धड़ल्ले से हो रहीे अवैध कटान के चलते जंगल का दायरा सिमटता जा रहा है। जिम्मेदारों ने अपनी आंखें बंद कर रखी हैं।
सिरसिया क्षेत्र स्थित हिमालय की तलहटी में संरक्षित वन क्षेत्र सोहेलवा वन संपदा से समृद्ध है। काला शीशम, साखू, सागौन, खैर समेत अन्य प्रकार के पेड़ों का यह घना जंगल है। तेंदुआ, हिरन, लकड़बग्घा, जंगली सूकर समेत विविध प्रकार के वन्यजीव व पक्षियों के लिए भी यह एक सुरक्षित प्रवास स्थल है। वन माफिया जंगल को वीरान करने के साथ जीव-जंतुओं के प्राकृतिक वास को भी छिन्न-भिन्न कर रहे हैं। यहां अवैध कटान के साथ वन्य जीवों के शिकार के मामले भी बढ़े हैं। वन माफिया रात के समय जंगल से लकड़ी कटवाकर इसे ट्रक व अन्य वाहनों से आसानी से बाहर निकाल देते हैं। लकड़ी पकड़े जाने के मामले लगातार प्रकाश में आने के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यह घटनाएं अवैध कटान में वन विभाग के मिलीभगत की ओर भी इशारा कर रहीं हैं। चोरी से काटी गईं लकड़ियों को आसानी से महानगरों तक पहुंचा दिया जाता है। इस कटान पर अंकुश नहीं लगा तो धीरे-धीरे सुहेल देव वन्य जीव विहार का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
अवैध कटान की पकड़ी गईं लकड़ियों का विवरण तारीख स्थान प्रजाति बोटा संख्या 21 जनवरी घोलिया खैर 38 बोटा 12 फरवरी घोघवा जलाशय खैर 04 बोटा 05 मार्च भितुहुरिया खैर 12 बोटा 04 जून चिर्रीपुर ईंट भट्ठे खैर 34 बोटा 05 जून निराला नगर फायर स्टेशन खैर 11 बोटा 05 जून गोड़पुरावा सागौन 51 बोटा 08 जून भितुहुरिया खैर 112 बोटा 26 सितंबर बिल्ली विशंभरपुर सागौन 12 बोटा 28 अक्टूबर कुथनी खैर 32 बोटा 19 नवंबर धर्मंतापुर खैर 149 बोटा कोट
जंगल में हो रही अवैध कटान की सूचना मिल रही है। लकड़ी को पकड़ कर वन माफिया के खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। अवैध कटान रोकने के लिए टीमों का गठन किया गया है। वन कर्मियों की ओर से लगातार जंगल में गश्त की जाती है।
-अजीत प्रताप सिंह, उप प्रभागीय वनाधिकारी, बलरामपुर।