अतिक्रमण के चलते विदेशी मेहमानों ने मुंह मोड़ा
श्रावस्ती : शीतकाल में साइबेरियन पक्षियों से गुलजार रहने वाली पौराणिक झील सीताद्वार इस बार फि
श्रावस्ती : शीतकाल में साइबेरियन पक्षियों से गुलजार रहने वाली पौराणिक झील सीताद्वार इस बार फिर सूनी पड़ी है। गंदगी व शिकारियों के भय से रूठे विदेशी मेहमानों ने इस झील से मुंह मोड़ लिया है। इससे सीताद्वार झील में विदेशी पक्षियों का कलरव क्षेत्रवासियों के लिए सपने सरीखा हो गया है।
सात सौ एकड़ में फैली इस झील के किनारों के झुरमुट व जलीय वनस्पतियां साइबेरियन पक्षियों को शीतकालीन प्रवास के अनुकूल माहौल प्रदान करती है। इसीलिए अक्टूबर से ही सात समंदर पार कर विदेशी मेहमानों के आने का शुरू हो जाता है। इनमें सफेद साइबेरियन क्रेनों सहित अन्य रंग-बिरंगे पक्षी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती थी। लेकिन इस वर्ष यह सूनी है। जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण झील में व्याप्त गंदगी व अतिक्रमण, घटते जलस्तर और शिकारियों की सक्रियता के कारण विदेशी मेहमानों ने पिछले कुछ वर्षों से अपने इस नियमित प्रवास स्थल से मुंह मोड़ लिया है। विदेशी पक्षियों की उछल-कूद व मधुर कलरव का आनंद लेने के लिए इस क्षेत्र ही नहीं पड़ोसी जिलों के लोग काफी संख्या में नित्य सीताद्वार आते हैं, लेकिन कलकल करती झील पर रंग-बिरंगे पक्षियों के झुंड के बजाय गंदगी से पटी झील देख निराश होकर वापस लौट जाते हैं।
डीएफओ एपी यादव ने बताया कि पूर्वी साइबेरिया, रुस, कजाकिस्तान क्षेत्र में बर्फ जमने का दौर शुरू होते ही इन पक्षियों के लिए भोजन का संकट उत्पन्न होने लगता है। यही इनका प्रजनन काल भी होता है। इसलिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश में साइबेरियन पक्षी भारत का रुख करते हैं।