जेल में रोज आठ किलो गेहूं पीसते थे पंडित विजय बहादुर
इकौना(श्रावस्ती) : इकौना ब्लॉक के ग्राम पंचायत मदारा निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय पंडित ि
इकौना(श्रावस्ती) : इकौना ब्लॉक के ग्राम पंचायत मदारा निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय पंडित विजय बहादुर ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्हें कई बार जेल की सजा काटनी पड़ी थी। अंग्रेज सरकार ने तीन बार इनके घर की कुर्की की। जेल में सजा काटने के दौरान उनसे आठ किलो गेहूं रोज पिसवाया जाता था। तमाम यातनाओं के बाद भी पंडित मिश्र का हौसला नहीं डिगा। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका पूरा परिवार समर्पण के साथ जुटा रहा।
विकास क्षेत्र के मदारा गाव निवासी पंडित विजय बहादुर मिश्र अंग्रेजों के अत्याचार से व्यथित थे। गाधी जी के आह्वान पर वर्ष 1940 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस पर अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इसमें उन्हें एक वर्ष की सजा के साथ 250 रुपये का अर्थदंड दिया गया। जुर्माना अदा न कर पाने पर छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना पड़ा। जेल में इन्हें प्रतिदिन आठ किलो ग्राम गेहूं का आटा पीसने की जिम्मेदारी दी गई। सजा पूरी करने के बाद जब वे रिहा हुए तो पूरी ऊर्जा के साथ फिर से आदोलन को तेज करने की मुहिम में जुट गए। इस दौरान अंग्रेजों ने तीन बार उनके घर की कुर्की की। इससे पूरे परिवार को मुफलिसी के दौर से गुजरना पड़ा। अंग्रेजों ने घर की तलाशी के बहाने परिवार को यातनाएं दी। आदोलन से अलग होने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन भी दिए, लेकिन बिना डरे या डिगे पूरा परिवार देश की आजादी के लिए छेड़ी गई जंग में जुटा रहा। वर्ष 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ों आदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 30 नवंबर 1942 को उन्हें गिरफ्तार कर नैनी जेल भेज दिया गया। यहा वे एक वर्ष तक नजरबंद रहे। यातनापूर्ण जेल यात्रा के बावजूद बिना विचलित हुए भारत जननी को आजाद कराने की मुहिम में वे समर्पित भाव से जुटे रहे।