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गंदगी से पट कर बीमार हुई पौराणिक रोग निवारिणी झील

इकौना (श्रावस्ती) : लवकुश की जन्मभूमि सीताद्वार में स्थित पौराणिक झील देखरेख के अभाव में सिकुड़ती जा

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 09:40 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 09:40 PM (IST)
गंदगी से पट कर बीमार हुई पौराणिक रोग निवारिणी झील
गंदगी से पट कर बीमार हुई पौराणिक रोग निवारिणी झील

इकौना (श्रावस्ती) : लवकुश की जन्मभूमि सीताद्वार में स्थित पौराणिक झील देखरेख के अभाव में सिकुड़ती जा रही है। मान्यता है कि इस झील में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं, लेकिन वर्तमान में यह झील इस कदर गंदगी से पटी है कि इसमें स्नान करने पर चर्म रोग होने का खतरा बना हुआ है।

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बौद्ध परिपथ पर स्थित टंडवा मंहथ गाव में सात सौ एकड़ भू-भाग में फैली इस झील के तट पर प्रतिवर्ष कार्तिक नवमी के अलावा कार्तिक पूर्णिमा पर पांच दिवसीय मेला लगता है। इसमें आसपास जिलों के लाखों लोग एकत्र होते हैं। मेले में आये श्रद्धालु झील में स्नान कर रोग मुक्ति की कामना करते हैं। मेला कमेटी मेले की व्यवस्था करती है। मेलार्थियों के ठहरने की यहा कोई व्यवस्था नहीं है। दो दशक पूर्व विधायक निधि से निर्मित रैन बसेरा ढह चुका है। मेला परिसर में वन विभाग व क्षेत्र पंचायत का गेस्ट हाउस व परिषदीय विद्यालयों के भवन हैं। जिनमें अधिकारियों व सुरक्षा बल काबिज हो जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा मेले को अब चंद दिन शेष है। इतने कम समय में विशाल झील की सफाई सहित अन्य व्यवस्था दुरुस्त करना कमेटी व प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।


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