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प्रवासी श्रमिकों को बताया मधुमक्खी पालन का तरीका

आइटीआइ भिनगा के सभागार में हुआ आयोजन कृषि वैज्ञानिकों ने दी जानकारी

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 10:25 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 06:12 AM (IST)
प्रवासी श्रमिकों को बताया मधुमक्खी पालन का तरीका
प्रवासी श्रमिकों को बताया मधुमक्खी पालन का तरीका

संसू, श्रावस्ती : कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत सोमवार को आइटीआइ सभागार भिनगा में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रवासी श्रमिकों को मधुमक्खी पालन के तरीके व इसके लाभ से अवगत कराया। घर पर रहकर रोजगार से जुड़ने के लिए इस तकनीक का उपयोग करने को प्रोत्साहित किया गया।

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कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनय कुमार ने प्रशिक्षण की उपयोगिता एवं महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन पर प्रवासी श्रमिक अपना रोजगार स्थापित कर सकते हैं। इससे शहद व मोम का कारोबार स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने पारंपरिक मधुमक्खी पालन, मौन वंश का निरीक्षण व शीतकालीन तथा बसंत कालीन प्रबंधन के बारे में बताया। वैज्ञानिक डॉ. उमेश बाबू ने आदर्श मौनालय का चुनाव मौन वंश का ग्रीष्मकालीन व वर्षा कालीन प्रबंधन, मौन का निष्कासन एवं प्रसंस्करण के बारे में जानकारी दी। कृषि तकनीकी अधिकारी डॉ. अहतिशाम ने मौनालय से शहद निकालने की तकनीक के बारे में बताया। डॉ. मानवेंद्र बहादुर सिंह ने मधुमक्खी के परिवार का विभाजन व जोड़ना, मधुमक्खी के परिवार के स्थानांतरण आदि विषयों पर चर्चा की। कृषि तकनीक अधिकारी हरिओम सक्सेना ने मोम व शहद के आर्थिक लाभ बताए। प्रशिक्षण में 35 प्रवासी श्रमिकों ने हिस्सा लिया।


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