दिन में किसानी, पूरी रात गांव में होती है प्रधानी
पंचायत चुनाव की तिथि निकट आने के साथ बढ़ने लगा गांव की राजनीति का तापमान
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : धीरे-धीरे कर बढ़ रही सूर्यदेव की ऊष्मा के साथ गांव की राजनीति का तापमान भी बढ़ता जा रहा है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर गांवों में उत्सव जैसा माहौल हो गया है। यहां दिन में खेती-किसानी के बाद पूरी रात प्रधानी को लेकर चर्चा हो रही है। गली-मुहल्ले व चौक-चौराहे प्रत्याशियों के साथ मतदाताओं से गुलजार रहते हैं।
397 ग्राम पंचायतों वाला श्रावस्ती जिला पांच विकास क्षेत्रों में विभक्त है। पंचायत चुनाव के पहले चरण में 15 अप्रैल को यहां मतदान होना है। नामांकन की तिथि तीन व चार अप्रैल तय की गई है। चुनाव की तिथि निकट आने के साथ गांवों में राजनीति का पारा चढ़ता जा रहा है। खेत में मसूर, सरसों व गेहूं की फसल तैयार खड़ी है। ऐसे में किसान सुबह-शाम खेतों में मेहनत करते हैं, लेकिन गांव को सही प्रतिनिधि मिले, इसके लिए देर रात तक लगने वाली चौपालों में चितन भी चल रहा है। संभावित उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। जनसंपर्क, वादे व कसमों का दौर भी शुरू हो चुका है। हाथ से निकल रहे मतदाताओं को अपने साथ खड़ा करने के लिए दूर-दराज के रिश्तेदारों का सहयोग भी लिया जा रहा है। संभावित उम्मीदवार पूर्व के वर्षों में की गई मदद को याद दिलाकर अपने पक्ष में वोट डालने की अपील कर रहे हैं। चुनाव के चलते इन दिनों गांव पूरी रात जागता है। एक मुहल्ले से दूसरे मुहल्ले की रुख करने पर बरामदे में बैठे लोग अपना प्रतिनिधि चुनने की योजना बनाते आसानी से देखे जा सकते हैं। ग्राम प्रधान के साथ क्षेत्र पंचायत, जिल पंचायत व ग्राम पंचायत सदस्य पद पर चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग भी मतदाताओं पर अपनी पकड़ बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। मतदाताओं की चुप्पी के बीच संभावित उम्मीदवार उनका मन समझने के लिए देर रात तक बैठे रहते हैं। समर्थक भी गांव से लेकर मजरों तक अपनी पकड़ बनाने में जुटे हुए हैं। इन सब क्रियाकलापों के चलते गांव का मिजाज पूरी तरह चुनावी रंग में रंग गया है।