टाप या बाटम-- विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहा संचार सेवाओं का बदहाल नेटवर्क
यहां धरातल पर नहीं उतर सकता ऑनलाइन क्लास वर्चुअल मीटिग व सभा का सपना
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए शारीरिक दूरी के नियम का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। इस दौरान देश की अर्थ व्यवस्था भी चलती रहे, इसके लिए आवाश्यक गतिविधियां संपन्न की जा रही हैं, लेकिन प्रगति के मूल्यांकन व रणनीति को अमली जामा पहनाने के लिए बैठकों के दौर को हॉल से निकाल कर कमरों में शिफ्ट किया जा रहा है। इसके लिए ऑनलाइन माध्यमों का प्रयोग शुरू हुआ है। वर्चुअल मीटिग, वर्चुअल सभा, ऑनलाइन पढ़ाई आदि धीरे-धीरे आम होती जा रही हैं। ऐसे समय में अति महत्वाकांक्षी जिलों में शामिल श्रावस्ती की रफ्तार पर संचार कंपनियों का बदहाल नेटवर्क ब्रेक लगा रहा है। जिले का 90 प्रतिशत क्षेत्रफल नेटवर्क से अच्छा
दिन है, लेकिन 4-जी सेवाएं यहां पूरी तरह फेल हैं। सर्वर दुरुस्त न हाने से आम कामकाज भी जैसे-तैसे हो पाता है। ऐसे में ऑनलाइन कक्षाएं व बैठकें कैसे हो पाएगी यह सवाल हर किसी के जेहन में है।
नेपाल सीमा से सटे श्रावस्ती जिले का कुल क्षेत्रफल एक लाख 94 हजार हेक्टेअर है। इस पर कुल लगभग 12 लाख की आबादी निवास करती है। आबादी का बड़ा हिस्सा गांवों में निवास करता है। संचार क्रांति के साथ गांवों के लोग भी एडवांस एंड्रायड मोबाइल फोन से लैस हो चुके हैं। 4-जी नेटवर्क बदहाल होने से इनके मोबाइल फोन खिलौना बने रहते हैं। सीमा के निकट स्थित लगभग एक दर्जन आदिवासी गांव तो अभी भी संचार क्रांति का इंतजार कर रहे हैं। यहां के लोगों के पास भी महंगे व एडवांस तकनीक से लैस मोबाइल फोन हैं, लेकिन इसके माध्यम से देश-दुनिया की जानकारी लेने के लिए लोगों को छत पर खड़े होकर अथवा गांव से दूर खेतों में जाकर नेटवर्क तलाशना होता है। ऐसे में कोविड-19 से बचते हुए व्यवस्था को गति देने के लिए ऑनलाइन माध्यमों की ओर से बढ़ रही निर्भरता के बीच अति पिछड़ा श्रावस्ती जिला काफी पीछे छूट रहा है।
सिर्फ 12 किमी है बीएसएनएल का 4-जी दायरा
उपभोक्ताओं को सुलभता के साथ संचार सेवाओं का लाभ देने के लिए जिले में बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) के कुल 32 टॉवर लगे हैं, लेकिन इनमें से भिनगा, खरगौरा मोड़, इकौना व कटरा में लगे टॉपर से ही 4-जी सेवाएं दी जा रही हैं। एक टॉवर का रेंज दो से तीन किलोमीटर का होता है। इस प्रकार बीएसएनएल की ओर से सिर्फ 12 किलोमीटर क्षेत्रफल के दायरे में ही हाईस्पीड इंटरनेट के लिए 4-जी सेवा का लाभ ग्राहकों को दिया जा रहा है। बढ़े बीटीएस तो बने बात
दूर संचार अधिकारी शकील अहमद ने बताया कि इंटरनेट की स्पीड पूरी तरह बीटीएस (बेस ट्रांसरिसीव स्टेशन) पर निर्भर करती है। एक बीटीएस पर अधिकतम एक हजार उपभोक्ताओं तक इंटरनेट की स्पीड ठीक होती है। उपभोक्ता बढ़ने के साथ बीटीएस न बढ़ाने पर रफ्तार घटती जाती है। इंटरनेट का स्पीड कम होने पर वर्चुअल मीटिग, सभा, ऑनलाइन क्लास आदि सफलतापूर्वक संचालित नहीं किया जा सकता है।