बदलने लगा गांवों का मिजाज, चढ़ने लगा चुनाव का रंग
खेत-खलिहान से लेकर बाग-बगीचों तक चौपाल में चर्चा करते देखे जा रहे लोग प्रत्याशी ठोंकने लगे दावेदारी
भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती : पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम की तिथि जारी होते ही गांवों का मिजाज बदलने लगा है। खेत-खलिहान से लेकर गांव की चौपाल तक चुनाव के चर्चे आम हो चले हैं। उम्मीदवार भी मैदान में उतरकर ताल ठोंकने लगे हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए तरह-तरह के नुस्खे आजमाए जा रहे हैं। पांच वर्ष के कार्यकाल की समीक्षा के साथ वर्तमान प्रधान की कमियां व अच्छाइयां गिनाई जा रही हैं। हर ओर लोग चुनाव के रंग में रंगे नजर आने लगे हैं।
दिसंबर माह में ग्राम प्रधानों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। 25 दिसंबर इसकी अंतिम तिथि है। कोरोना संक्रमण के चलते पंचायत चुनाव समय से हो पाना अब संभव नहीं दिख रहा है। ऐसे में ग्राम प्रधानों को विस्तार मिलेगा अथवा प्रशासक की तैनाती होगी। देरी से ही सही, लेकिन मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी होते ही पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज गई है। गांव-गांव में इसके लिए भूमिका बनने लगी है। संभावित प्रत्याशी अपने समीकरण तैयार करने लगे हैं। आम लोगों के बीच चर्चा के केंद्र में भी पंचायत चुनाव ही है। शासन की ओर से चुनावी प्रक्रिया में संशोधन के दिए गए संकेत भी इन दिनों चर्चा में हैं। मसलन दो बच्चे से अधिक होने पर संबंधित व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा, जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख का चुनाव भी जनता द्वारा सीधे किया जाएगा। इन विषयों पर शासन में चल रहे मंथन का परिणाम जानने को हर कोई उत्सुक है। दो से अधिक बच्चों के माता-पिता अपने राजनैतिक भविष्य पर संकट का बादल मंडराते देख चुनाव लड़ाने के लिए परिवार में अन्य विकल्प तलाश रहे हैं। इनसेट
सृजित हैं 397 ग्राम पंचायतें
तीन तहसील व पांच विकास खंड वाले श्रावस्ती जिले में कुल 397 ग्राम पंचायतें सृजित हैं। गांवों की सरकार बनाने के लिए यहां चुनाव होना है। इनमें से जमुनहा के रानीसीर व गिलौला के कल्यानपुर के ग्राम प्रधान की मृत्यु हो जाने से यह सीटें पहले से ही रिक्त हैं। डीएम की ओर से यहां कामकाज देखने के लिए सदस्य नामित किया गया है।
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पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम जारी हुआ है। एक अक्टूबर से बीएलओ घर-घर जाकर सर्वे शुरू करेंगे। 29 दिसंबर को सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते यदि पंचायतों का समय बढ़ता है तो कामकाज कौन देखेगा, इसका निर्णय शासन के आदेश के बाद किया जाएगा।
-किरन, जिला पंचायत राज अधिकारी, श्रावस्ती।