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बाल विवाह के खिलाफ अब गांव-गांव जलेगी अलख

श्रावस्ती : सूबे में तेजी से बढ़ते बाल विवाह ने प्रदेश सरकार और समाजशास्त्रियों के माथे पर चिं

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 12:41 AM (IST)Updated: Thu, 08 Feb 2018 12:41 AM (IST)
बाल विवाह के खिलाफ अब गांव-गांव जलेगी अलख

श्रावस्ती : सूबे में तेजी से बढ़ते बाल विवाह ने प्रदेश सरकार और समाजशास्त्रियों के माथे पर चिंता की लकीरों को बढ़ा दिया है। इन आंकड़ों को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक योजना का क्रियान्वयन किया है। महिला एवं बाल कल्याण विभाग और यूनिसेफ के सहयोग से तैयार की गई 'हक से' नामक इस योजना का संचालन सूबे के 19 जिलों में महिला समाख्या द्वारा किया जा रहा है।

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इस योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर 'हक से महिला एवं बाल अधिकार मंच' का गठन किया जाएगा। इस मंच का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह के प्रति लोगों को जागरूक करना और बाल विवाह रोकना है। इसके अलावा यह मंच बाल मजदूरी और महिला अधिकारों और गिरते लिंगानुपात को लेकर भी काम करेगा। योजना को ग्राम पंचायत स्तर पर लागू किया गया है। ग्राम पंचायत स्तर पर गठित इस मंच में प्रधान की अहम भूमिका होगी। साथ ही प्रधान को इस बात के लिए तैयार किया जाएगा कि वह पंचायत स्तर पर तैयार की जाने वाली विकास की योजनाओं में महिलाओं व बच्चों के मुद्दों को भी शामिल करें। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में भी यह मंच सहयोगी बनेगा।

इनसेट ==

क्या कहती हैं जिम्मेदार -

महिला समाख्या की जिला कार्यक्रम प्रबंधक इंदू बताती हैं कि इस मंच का उद्देश्य महिला सशक्तीकरण व बाल संरक्षण को सुनिश्चित करना है। चयनित जिलों की हर एक ग्राम पंचायत में 'हक से महिला एवं बाल अधिकार मंच' का गठन किया जाएगा। यह मंच ही बाल विवाह के दुष्परिणामों को लेकर लोगों को जागरूक करेगा।

यूनिसेफ की प्रतिनिधि अरूणा सिंह ने बताया कि बाल विवाह को रोकने के लिए इस मंच की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही इस मंच से यौन हिंसा और बाल तस्करी, बाल श्रम, घरेलू हिंसा को भी रोका जाएगा।

इन जिलों में चल रही योजना -

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नवंबर 2017 में पहले चरण में प्रदेश के गोरखपुर, इलाहाबाद, जौनपुर, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती जिलों में इस योजना का संचालन किया गया। इसके बाद इसी साल जनवरी माह से इस योजना को सहारनपुर, मथुरा, प्रतापगढ़, मऊ, मुजफ्फर नगर, बुलंद शहर, शामली, औरैया, चित्रकूट, कौशाबी, चंदौली और सीतापुर जिले में भी लागू किया गया है।

यह है आंकड़ों की तस्वीर -

बाल विवाह जैसी कुप्रथा समूचे प्रदेश में व्याप्त है। वर्ष 2016 के नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 21.2 प्रतिशत बाल विवाह हो रहे हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आकड़ा 26.4 है।


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