नरक चतुर्दशी पर यम और हनुमान की हुई पूजा
शामली जेएनएन। धनतेरस के साथ ही नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) जिले भर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। बजरंगबली के साथ ही मृत्यु के देवता यमराज की पूजा हुई। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पक्ष की चतुर्दशी को ही बजरंग बली का जन्म देवी अंजना के उदर से हुआ था।
शामली, जेएनएन। धनतेरस के साथ ही नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) जिले भर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। बजरंगबली के साथ ही मृत्यु के देवता यमराज की पूजा हुई। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पक्ष की चतुर्दशी को ही बजरंग बली का जन्म देवी अंजना के उदर से हुआ था।
सुबह से ही श्री हनुमान धाम में श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हो गया था। हालांकि गत वर्षाें के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। पुजारी देवानंद ने विशेष पूजा-अर्चना करते हुए आरती की। श्रद्धालुओं ने बजरंग बली को चोला और सिदूर चढ़ाया। शाम को घरों में विधि-विधान के साथ छोटी दीपावली का पूजन हुआ। एक थाली में एक चौमुख और अन्य छोटे दीपक प्रज्ज्वलित किए गए। रोली, खीर, मिष्ठान, फूल आदि से ईष्ट देव की पूजा हुई। इसके बाद दीयों को घर के अलग-अलग स्थानों पर रखकर सुख-शांति की प्रार्थना की गई। साथ ही यमराज के निमित्त भी एक दीपक अलग से जलाया गया। ज्योतिषाचार्य पंडित प्रभु शंकर शास्त्री ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों के साथ अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है। इसलिए यमराज के निमित्त दीपक जलाया जाता है। इस दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना होती है। बताया कि नरक चतुर्दशी पूजन एवं दीपदान प्रदोष काल यानी सायंकाल में होता है। शुक्रवार शाम छह बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू हुई और शनिवार दोपहर में समाप्त हो जाएगी। इसलिए नरक चतुर्दशी भी धनतेरस के साथ ही शुक्रवार को मनाई गई। उसके बाद छोटी दीपावली की पूजा की गई।