जलकर राख हुआ 'अहंकार', अधर्म पर धर्म की विजय
अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ अहंकार के खात्मे के विजयादशमी पर्व पर जिला उल्लास में डूबा नजर आया।
शामली, जेएनएन। अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ अहंकार के खात्मे के विजयादशमी पर्व पर जिला उल्लास में डूबा नजर आया। अहंकार के प्रतीक रावण, मेघनाद और कुंभकरण के विशालकाय पुतलों के गगनभेदी विस्फोट के साथ परखच्चे उड़ गए। श्रीराम की जय-जयकार से वातावरण आलोकित हो उठा और श्रद्धालु झूमने लगे। आतिशबाजी से आसमां भी रंगीन नजर आया।
मंगलवार शाम रामलीला में राम-रावण युद्ध का मंचन किया गया। रावण जब मारा नहीं जाता तो विभीषण बताते हैं कि उसकी नाभि में अमृत है। इसके बाद राम उसके अमृत को अग्नि बाण से सुखा देते हैं। राम और रावण के बीच संवाद का भी मंचन हुआ। इसके बाद मेघनाथ, कुंभकर्ण और फिर रावण का पुतला धू-धूकर जलाए गए। समूचा माहौल जय श्रीराम के जयकारे से गुंजायमान हो गया। इस दौरान मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विशिष्ट अतिथि भाजपा नेत्री मृगांका सिंह के अलावा श्री हनुमान धाम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सलिल द्विवेदी, राजकुमार मित्तल, अजय संगल, राजन बत्रा, अनिल उपाध्याय, लोकेश शर्मा, जोगेंद्र पाल सेठी, पुनीत द्विवेदी, अनुराग शर्मा, निशीकांत संगल, उपेंद्र द्विवेदी, मनोज मित्तल, रवि संगल, संदीप नामदेव चौधरी आदि मौजूद रहे।
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आतंकवाद को खत्म करने में लगे हैं पीएम-सीएम: राणा
हनुमान धाम में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि विजयदशमी अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। रावण ज्ञानी था, लेकिन अहंकार के चलते अधर्म के कार्य करने लगा था। प्रभु श्रीराम ने रावण का सर्वनाश कर उसके अहंकार भी अंत किया। हमें भी रावण रूपी बुराइयों से दूर रहना चाहिए और हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए। अहंकार जीवन का सबसे बड़ा विकार होता है। इससे ही जीवन में अन्य सभी बुराइयां प्रवेश कर जाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आतंकवाद और अपराधियों को खात्मा करने में लगे हुए हैं। -मेले का उठाया लुत्फ
दशहरे मेले में काफी संख्या में शहर के लोग पहुंचे। खानपान के स्टॉलों पर चाट आदि का स्वाद चखा तो दुकानों पर खिलौने व घरेलू जरूरत के सामान की खरीददारी भी गई। हनुमान धाम परिसर के साथ ही बाहर भी काफी दुकानें सजीं थी। मंगलवार को दोपहर एक बजे से ही लोगों का आना शुरू हो गया था। शहर के साथ लिलौन, खेड़ी, बामनौली, सिभालका, काबड़ौत, सिक्का, गोहरनी, कुड़ाना समेत कई गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग मेले में पहुंचे।