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भूजल स्तर बढ़ाने को मिलकर करें कदमताल

जागरण संवाददाता, शामली: जिले में तेजी से जलस्तर गिरने से पेयजल संकट गहरा रहा है। जल सं

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 07:32 PM (IST)
भूजल स्तर बढ़ाने को मिलकर करें कदमताल
भूजल स्तर बढ़ाने को मिलकर करें कदमताल

जागरण संवाददाता, शामली:

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जिले में तेजी से जलस्तर गिरने से पेयजल संकट गहरा रहा है। जल संकट को भविष्य में हमारी पीढ़ी को झेलना पड़ सकता है। ऐसे में यदि जल्द न संभले तो वह दिन दूर नहीं, जब पानी के लिए महायुद्ध होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिले में पेयजल के हालात बदतर होते जा रहे है। पेयजल संकट की हालत यह है कि हर साल 80-90 सेमी जलस्तर नीचे खिसक जा रहा है। यहीं वजह है कि जिले के पांचों ब्लॉक डार्क जोन में है। भूजल के स्तर को बढ़ाने के लिए तालाबों की खुदाई करना और जीर्णोद्धार ही बेहतर विकल्प है। इसमें प्रशासनिक सकारात्मक रवैया व जनसहभागिता तालाबों के बचाव के लिए सबसे अच्छी पहल होगी।

जिले के सरकारी रिकार्ड पर गौर करें तो यहां हजारों तालाब मिलेंगे, लेकिन वहीं इनमें सैकड़ों तालाब स्थाई निर्माण के चलते बंद भी दिखाएं गए है। हालात यह है कि धरातल पर यहां तालाबों पर अवैध कब्जों की भरमार है। तालाबों पर मकान बनाना व फसल उगाना यहां गांव-दर-गांव हुआ है।

यहीं वजह है कि जलस्तर तेजी से गिरता चला गया। जनमानस का खुद के स्वार्थ में तालाबों को खत्म करना एक दिन उनके लिए ही मुसीबत का सबब बनेगा। भविष्य में जल संकट से लोगों को रूबरू होना होगा। तालाबों को बचाएंगे तो भविष्य के लिए पेयजल संकट से निजात मिल सकती है।

जिले में साल 2016 में तालाबों को बचाने के लिए अभियान चलाया गया था। तालाबों का सौंदर्यकरण कराने के साथ ही उनकी सफाई कराकर उनमें पानी भरवाया, लेकिन यह अभियान कुछ माह चलकर बंद हो गया। योगी सरकार में शुरुआत में तालाबों से अवैध कब्जे हटवाएं गए, लेकिन फिर से हालात ज्यो के त्यो हो चले है। हालांकि कुछ स्थानों पर आमजन ने भी तालाबों की खुदाई के लिए फिर से प्रयास किए है।

जिन तालाबों की खुदाई विलंब से हुई, उनमें बारिश का पानी एकत्र नहीं हो सका। तालाब खाली गड्ढे भर बनकर रह गए। इसके बावजूद लोग ना उम्मीद नहीं हैं। लोगों का कहना है कि जल संरक्षण का यह अभियान इस बार 2018 में परवान चढ़ेगा। मानसून ठीक रहा तो खोदे गए तालाब पानी से भरे नजर आएंगे।

इन्होंने कहा-

पी-15:

जिला प्रशासन व ग्रामीणों की संयुक्त कोशिश होगी तो तालाबों को नवजीवन मिलेगा। बंजर जमीन पर तालाब खोदकर उसे जलसंचय योग्य बनाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति होगी तो प्रयास जरूर रंग लाएंगे। साल 2018 में हमें मिलकर ईमानदारी से तालाब बचाने को अभियान शुरू करना होगा, अन्यथा भविष्य दुखदायी ही होगा।

- विजय सैनी ऊर्फ टीटू, युवा।

पी-16:

तालाबों के पुनर्जीर्णोद्धार और नवीन तालाबों की स्थापना से जल स्तर की गिरावट रुकेगी और जलस्तर बढ़ना शुरू होगा। तालाबों की अनदेखी से ही पेयजल संकट गहराने लगा है। तालाब बचाने के लिए प्रत्येक को एकजुट होकर लगना होगा।

- डॉ. पदम ¨सह चौहान।


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