देशी गाय पालें, जीरो लागत खेती पाएं : डा. पालेकर
पद्मश्री डा. सुभाष पालेकर ने कहा कि रासायनिक खेती के कारण ग्लोबल वार्मिग बढ़ रही है व भूगर्भ जलस्तर निरंतर घट रहा है। इसके कारण कैंसर जैसी घातक बीमारियों में इजाफा हो रहा है।
शामली, जेएनएन। देश के जाने-माने गौ आधारित प्राकृतिक खेती विशेषज्ञ पद्मश्री डा. सुभाष पालेकर ने कहा कि रासायनिक खेती के कारण ग्लोबल वार्मिग बढ़ रही है व भूगर्भ जलस्तर निरंतर घट रहा है। इसके कारण कैंसर जैसी घातक बीमारियों में इजाफा हो रहा है। इसका एक ही समाधान है कि किसान गौ आधारित प्राकृतिक खेती करें। एक देशी गाय से 150 बीघा तक की खेती शून्य लागत पर की जा सकती है।
शामली के कस्बा थानाभवन में उत्तम खेती शोध संस्थान के संस्थापक ठा. धर्मपाल सिंह गौ आधारित खेती कर रहे हैं। गौ आधारित खेती देखने के लिए डा. सुभाष पालेकर थानाभवन पहुंचे। यहां उन्होंने गोमूत्र व गाय के गोबर से हो रही बागवानी की काफी प्रशंसा की। ठा. धर्मपाल सिंह के आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए डा. पालेकर ने कहा कि गौ आधारित खेती करने से अच्छी पैदावार के साथ भूमि की ताकत बढ़ेगी, जलस्तर ऊपर आएगा और वातावरण प्रदूषण मुक्त रहेगा। पालेकर ने कहा कि रासायनिक व जैविक खाद से खेती में ज्यादा पानी की जरूरत होती है। इससे भूगर्भ जलस्तर घटता है। वहीं, भूमि के सूक्ष्म जीवाणु भी खत्म होते हैं। इससे खेती में लागत अधिक आती है और उत्पादन घट जाता है। इसके लिए जरूरी है कि किसान घर में एक देशी गाय पाले। तरीका यह है कि एक दिन में देशी गाय करीब दस किलो गोबर करती है। प्रत्येक दिन के गोबर को पांच बीघा खेत में डालें तो 30 दिन में 150 बीघा खेत में खाद लग जाएगा। एक ग्राम देशी गोबर भूमि में 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पैदा करता है। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के प्रोफेसर व प्राकृतिक खेती प्रचारक डा. संजय राणा, श्याम सिंह, प्रमोद कुतुबगढ़, साधु सिंह, उग्र सिंह प्रधान, कवरपाल गागौर, मुकेश भाऊखेड़ा, अजय कुमार आदि मौजूद रहे।