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लक्ष्य निर्धारित कर पढ़ाई करें तो मिलेगी सफलता

शिक्षिका ने छात्र-छात्राओं को दैनिक जागरण के बुधवार के अंक में प्रकाशित संस्कारशाला को पढ़कर सुनाते हुए कहानी के बारे में जानकारी दी। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने कहानी से बहुत कुछ सीखा। शिक्षिका और छात्रों ने दैनिक जागरण की संस्कारशाला में प्रकाशित कहानी की सराहना की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 10:49 PM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 10:49 PM (IST)
लक्ष्य निर्धारित कर पढ़ाई करें तो मिलेगी सफलता

शामली, जागरण टीम। शिक्षिका ने छात्र-छात्राओं को दैनिक जागरण के बुधवार के अंक में प्रकाशित संस्कारशाला को पढ़कर सुनाते हुए कहानी के बारे में जानकारी दी। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने कहानी से बहुत कुछ सीखा। शिक्षिका और छात्रों ने दैनिक जागरण की संस्कारशाला में प्रकाशित कहानी की सराहना की।

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गुरुवार को शहर के झिझाना रोड स्थित शेपर्स एकेडमी में दैनिक जागरण की ओर से संस्कारशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान हिदी की शिक्षिका नीलम पराशर ने छात्र-छात्राओं को दैनिक जागरण के बुधवार के अंक में प्रकाशित कहानी को पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा कि सीखने के क्रम में हम पर अपने आसपास के लोगों के व्यवहार का गहरा प्रभाव पड़ता है और यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। जैसे अपने माता-पिता के द्वारा बड़ों का आदर, सेवा और सम्मान प्रकट करने के व्यवहार को देखकर ही बच्चा अपने से बड़ों के प्रति सम्मान के भाव को विकसित करता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह वैज्ञानिक मनोवृत्ति क्या है। हम सभी जानते हैं कि प्रकृति का क्रमबद्ध व सुव्यवस्थित ज्ञान ही विज्ञान है। वैज्ञानिक विधि यानी विचार अवलोकन, परीक्षण व परिणाम विज्ञान की असल कसौटी है। जब हमारे मन की स्वाभाविक स्थिति यानी सोचने का नजरिया वैज्ञानिक कसौटी पर आधारित हो जाए तो यह वैज्ञानिक मनोवृत्ति कहलाएगी। यह शायद हमारा खुद का संविधान है। बच्चे परिवार, पड़ोस, समाज, विद्यालय तथा धार्मिक संस्थाओं से शिक्षा ग्रहण करते हैं। सामाजिक शिक्षण का प्रभाव सीधे-सीधे मनोवृत्ति के निर्माण के रूप में पड़ता है। धार्मिक और संप्रदायिक मनोवृत्ति के निर्माण में भी सामाजिक प्रक्रिया विशेष महत्व रखती है। आज से पहले कभी इतने अवसर नहीं थे, इतने विश्वविद्यालय नहीं थे, न प्रौद्योगिकी थी और न ही सोने-हीरे के भंडार थे। आज जो भी उन्नति हुई है वह विज्ञान और वैज्ञानिक मनोवृत्ति की देन है। आज हम देखते हैं तो पाते हैं कि जो भी जाति, समाज, देश, उन्नत है, उनमें वहां के लोगों के वैज्ञानिक मनोवृत्ति का सबसे बड़ा योगदान रहा है। जब हम सफल बनें तो हमारी मनोवृत्ति विज्ञान पर आधारित होनी चाहिए, तभी हम और हमारा देश व विश्व उन्नति की राह पर अग्रसर होता रहेगा।


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