स्वामी दयानंद सरस्वती के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी दयानंद सरस्वती के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।
शामली, जेएनएन। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस दौरान उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।
मंगलवार को शहर के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य संजय सैनी व मुख्य वक्ता आचार्य प्रवेश कुमार ने स्वामी दयानंद सरस्वती व मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, गीत, भाषण आदि प्रस्तुत किए। मुख्य वक्ता प्रवेश कुमार शर्मा ने कहा कि दयानंद सरस्वती बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे, उनका जन्म गुजरात के काठियावाड़ जिले में हुआ था। उनकी ज्ञान प्राप्त करने की प्रबल इच्छा थी। कुछ समय बाद उन्होंने घर छोड़ दिया तथा ज्ञान की खोज में भटकते हुए स्वामी विरजानंद के शिष्य बने। स्वामी दयानंद वेदों को परम सत्य मानते थे। उन्होंने विभिन्न देशों की यात्राएं कीं और 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। उन्होंने जाति प्रथा व बाल विवाह का विरोध किया। पुनर्विवाह का समर्थन भी किया। प्रधानाचार्य संजय सैनी ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती की दृष्टि अत्यंत व्यापक थी। हमें दयानंद जी के बताए मार्ग पर चलकर देश, समाज और अपनी संस्कृति को बचाना है। इस अवसर पर रविन्द्र कुमार, सुधीर कुमार, आशीष जैन, सतीश शर्मा, शिवकुमार धीमान, अरूणकांत शर्मा, रामकुमार, विजेन्द्र कुमार, सविता गुप्ता, रमा शर्मा, रीतू रुहेला, ऋचा संगल, नुपूर शर्मा आदि भी मौजूद रहे।