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संसार श्री राम और भगवान जपते है भरत का नाम: विजय कौशल

शामली जेएनएन संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने भरत के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सारा संसार जिस राम के नाम का जप करता है वे प्रभु राम भरत का नाम जपते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 10:31 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 06:07 AM (IST)
संसार श्री राम और भगवान जपते है भरत का नाम: विजय कौशल

शामली: जेएनएन: संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने भरत के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सारा संसार जिस राम के नाम का जप करता है, वे प्रभु राम भरत का नाम जपते हैं। उन्होंने कहा कि भरत कौन है? भरत का चरित्र अवर्णनीय है। श्री राम ने भी कहा था कि मैं भरत की महिमा को जानता तो हूं लेकिन उसका वर्णन नहीं कर सकता।

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शामली कैराना रोड स्थित जेजे फार्म में चल रही श्री राम कथा के सातवें दिन शुक्रवार को संत प्रवर विजय कौशल महाराज ने राम के वन गमन के पश्चात अवध की दशा, महाराज दशरथ की मृत्यु तथा भरत के ननिहाल से लौटने के साथ भरत के चरित्र का दिग्दर्शन कराया। उन्होंने कहा कि राम, लक्ष्मण और सीता वन चले गए और वे चित्रकूट में निवास करने लगे। उधर सूना रथ लेकर जैसे ही सचिव सुमंत्र अयोध्या में लौटे तो पूरी अयोध्या में शोक छा गया। राजा दशरथ विलाप करने लगे और राम को पुकारते पुकारते मूर्छित होकर धरती पर गिर गए। जैसे ही उन्हें होश आया उन्हें अपने सामने एक वृद्ध दंपती लाठी लिए खड़ी दिखाई दी, जो श्रवण कुमार के माता-पिता थे। दशरथ को श्रवण कुमार के वध की पूरी घटना याद आई और उन्होंने कौशल्या को सारी घटना सुनाई। महाराज ने कहा कि मरते समय मनुष्य की स्मृति में उसके जीवन काल में किए हुए सारे पाप सामने आ जाते हैं। महाराजा दशरथ ने अनजाने में श्रवण कुमार का वध किया था जब अनजाने में किए गए पाप का फल इतना दुखदाई होता है कि दशरथ जैसे धर्म धुरंधर गुणानिधि ज्ञानी को इतना तड़पाता है तो जानबूझकर पाप करने वालों की अंत समय में क्या दशा होती होगी। राजा दशरथ को पूरा घटनाक्रम याद आ गया कि श्रवण कुमार की मौत के बाद जब वे जल का पात्र लेकर उसके बूढ़े माता-पिता के पास पहुंचे और उन्हें पुत्र के निधन की जानकारी मिली तो उन्होंने राजा दशरथ को श्राप दे दिया कि जिस तरह पुत्र के वियोग में हम तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। इसी तरह एक दिन तुम भी पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर प्राण त्याग दोगे और आज वही शाप फलीभूत होता नजर आ रहा है। चार चार बेटे होते हुए भी मृत्यु के समय राजा दशरथ के पास एक भी पुत्र नहीं है। बंधु और सुबंधु में अंतर बताते हुए कौशल महाराज ने कहा कि जो संपत्ति में साथ देता है, वह बंधु होता है लेकिन जो विपत्ति में साथ देता है वह सुबंधु होता है। कथा में राजेश्वर बंसल, अंजना बंसल, अखिल बंसल, सारिका बंसल, शिप्रा बंसल, एसपी शामली अजय कुमार, उनकी धर्मपत्नी, पूर्व आईजी विजय गर्ग, राजेंद्र प्रसाद बंसल, आनंद प्रकाश गर्ग मुजफ्फरनगर के पूर्व चेयरमैन डा. सुभाष शर्मा, झांसी से पधारे राकेश कुमार, राजीव मलिक, रोबिन गर्ग, प्रदीप ठाकुर, प्रदीप मंगल, मुकेश गोयल आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।


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