70 साल से चल रही हसनपुर लुहारी में रामलीला
शामली : वर्ष 1948 में आरंभ हुई हसनपुर लुहारी की रामलीला के मंचन में भरत मिलाप और लक्ष्मण
शामली : वर्ष 1948 में आरंभ हुई हसनपुर लुहारी की रामलीला के मंचन में भरत मिलाप और लक्ष्मण शक्ति की लीला बेहद खास है। इन मंचन को देखने के लिए दूसरे जिलों से लोग हसनपुर लुहारी पहुंचते है। रामलीला कमेटी द्वारा भव्य राम बरात निकाली जाती है। खास बात ये है कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी स्वागत करते हैं। रामलीला के सभी किरदारों को गांव के लोग निभाते हैं और इन्हें पूरे वर्ष रामलीला शुरू होने का बेसब्री से इंतजार रहता है।
मेन बाजार रामलीला मैदान में रोज बड़ी संख्या में लोग रामलीला मंचन देखने पहुंचते हैं। रामलीला के निर्देशक धर्मपाल सैनी और मनोज रूहेला हैं, जो पुरानी परंपराओं के अनुरूप ही मंचन कराते हैं। दशहरा पर गांव में बाईपास स्थित श्रीराम मंदिर परिसर में मेले का आयोजन होता है। राम-रावण युद्ध दिखाया जाता है और फिर रावण के पुतले का दहन होता है।
इस वर्ष का आकर्षण : बाईपास स्थित श्रीराम मंदिर में दशहरे के लिए 40 फीट ऊंचा रावण का पुतला होगा। राम-रावण का युद्ध भी आकर्षण का केंद्र रहेगा। साथ ही लक्ष्मण-मेघनाथ संवाद, लक्ष्मण शक्ति, अंगद-रावण संवाद भी बेहद खास रहेगा। अभिनय करने वाले कलाकार रामलीला शुरू होने से कई दिन पहले से ही रिहर्सल शुरू कर देते हैं।
मेरा रोल देखने को इंतजार करते हैं लोग : रामलीला में अभी तक राम और वेदवती का अभिनय अदा कर चुके है। इसके अलावा भी अनेक रोल रामलीला में निभाए हैं। मुझे रामलीला शुरू होने का इंतजार रहता है। क्योंकि, अक्सर लोग मुझे रामलीला के किरदारों के नाम से भी पुकारते हैं। तब बेहद खुशी होती है, जब मैं भगवान राम का अभिनय करता हूं तो दूसरे गांवों से भी लोग देखने के लिए पहुंचते हैं।
-अनुज सैनी, कलाकार यादों के झरोखे से : हम लोगों की याद से पहले ही रामलीला होती आ रही है। रामलीला का आयोजन हमेशा से ही मेन बाजार में होती आ रही है। डॉ. केशो राय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके प्रयास से ही यहां की रामलीला की पहचान पूरे क्षेत्र में बनी।
-कंवरपाल ¨सह
रामलीला मंचन की भव्यता हर साल : बढ़ती जा रही है। रामलीला मंचन देख नई पीढ़ी को प्रभु राम के मर्यादित जीवन का ज्ञान होता है। राम बरात भव्य होती है और सभी कलाकार भी अपने किरदार को तन्मयता के साथ निभाते हैं।
-रामपाल