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राजपाल ने आरटीआइ को बनाया हथियार, दिलाते हैं अधिकार

संवाद सूत्र, कैराना : जहां भी भ्रष्टाचार की बू आती है वह इसकी परत उखाड़ने के लिए प्रयास मे

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 09:58 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 09:58 PM (IST)
राजपाल ने आरटीआइ को बनाया हथियार, दिलाते हैं अधिकार
राजपाल ने आरटीआइ को बनाया हथियार, दिलाते हैं अधिकार

संवाद सूत्र, कैराना : जहां भी भ्रष्टाचार की बू आती है वह इसकी परत उखाड़ने के लिए प्रयास में जुट जाते हैं। इन्होंने अपना हथियार बनाया है सूचना का अधिकार अधिनियम को। इनका नाम है राजपाल सैनी और इनकी सजगता से काफी लोग तमाम योजनाओं में लाभान्वित हुए। भ्रष्टाचारियों की असलियत को उजागर करना और आम नागरिकों को उनका हक दिलाना ही जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है।

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कैराना क्षेत्र के गांव झाड़खेड़ी निवासी राजपाल सैनी छोटा व्यवसाय कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। गांव के लोगों को जब योजनाओं का लाभ नहीं मिलता था और भ्रष्ट सिस्टम के बारे में पता चलता था तो वह काफी परेशान रहते थे। लेकिन, उनके पास कोई समाधान नहीं था। जब देश में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ तो इसके बारे में अध्ययन किया। फिर, उन्हें समझ में आ गया कि ये हथियार भ्रष्टों पर शिकंजा कसने में उनकी मदद करेगा। कई साल पहले उनकी जानकारी में आया कि प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को ड्रेस वितरण नहीं हो रहा और इसमें घपला हुआ। इसके बाद राजपाल ने इस संबंध में सूचना मांगी और अफसरों तक बात पहुंची तो हड़कंप मच गया और कुछ ही दिन में सभी बच्चों को ड्रेस मिल गई। परिषदीय विद्यालयों में मिड डे मील में घपला होने की बात संज्ञान में आई तो आरटीआइ लगा दी। जिला स्तर से सूचना नहीं दी गई तो उच्च स्तर पर अपील हुई। परिणाम ये हुआ कि मिड डे मील की व्यवस्था में सुधार आया है। आरटीआइ को ही हथियार बनाकर झाडखेड़ी में कन्या पाठशाला का निर्माण भी पूरा कराया। निचले स्तर पर नहीं मिलती जानकारी

राजपाल सैनी का कहना है कि निचले स्तर पर अधिकारी-कर्मचारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने में आनाकानी करते हैं। जबकि, उच्च स्तर पर जानकारी दी जाती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से जानकारी मांगी थी कि मिड डे मील की व्यवस्था में सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए। इसका जवाब रजिस्ट्रार के यहां से उन्हें भेजा भी गया था। 55 परिवारों की लड़ी लड़ाई

झाड़खेड़ी गांव में कुछ साल पहले सरकार की योजना के तहत 55 परिवारों को प्लाट आवंटित किए गए थे। गांव की राजनीति के चलते कुछ लोगों ने उक्त परिवारों को अपात्र बताते हुए शिकायत कर दी। मामला मंडलायुक्त तक पहुंचा। इनकी लड़ाई राजपाल सैनी ने लड़ी और न्याय दिलाया। मन को मिलता है सुकून

राजपाल सैनी का कहना है कि इस मुहिम में आने वाले खर्च का बोझ वे स्वयं वहन करते हैं। जनहित की आवाज उठाने से मन को बड़ा सुकून मिलता है। वह सभी अपील करते हैं कि हर नागरिक अपने दायित्व को निभाएं और जरूरतमंद लोगों की मदद करे।


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