शहीद का दीदार तक नहीं कर पाए अपने, पत्नी कहती रही- एक बार तो दिखा दो
साढ़े तीन सौ किलो विस्फोटक से भरी गाड़ी सीआरपीएफ जवानों के ट्रक में जा घुसी। ट्रक पुर्जा-पुर्जा हो गया। ऐसे में जवानों के शरीर की क्या हालत हुई होगी, यह सोचकर भी रूह कांप उठती है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 01:06 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 01:06 PM (IST)
शामली, [लोकेश पंडित]। जिस प्रदीप के पैरों की आहट सुनकर घर में चहल-पहल शुरू हो जाती थी, हर कोई मिलने और दुलार को बेचैन हो जाता था, उनके लिए आज प्रदीप इतना दूर हो गया था। तिरंगे में लिपटी प्रदीप की पार्थिव देह शनिवार सुबह गांव में लाई गई। मां स्नेहलता बेटे को आखिरी बार दुलार करने आई तो उसे दर्जनों हाथों ने रोक लिया। पिता बेटे को बांहों में भरकर आखिरी बार प्यार करने को आया तो वह न जाने कितनी बांहों में कसमसाते हुए रोक लिए गए। पत्नी शर्मिष्ठा रोते-रोते बस यही कह रही थी, बस एक बार तो दिखा दो। सिद्धार्थ, विजयंत अपने जन्मदाता का चेहरा आखिरी बार नहीं देख पाए।
हर आंख में आंसू
बनत में जांबाज प्रदीप के घर के बाहर यह मार्मिक दृश्य देखकर हर कोई रो पड़ा। सब चाहते थे कि शहीद प्रदीप का पूरा परिवार अपने जांबाज का आखिरी दीदार कर ले, लेकिन सीआरपीएफ के साथ आए अधिकारियों ने ऐसा नहीं करने की मार्मिक अपील की। शहीद प्रदीप का पार्थिव शरीर 6.50 बजे पहुंचा था। इसके बाद ही पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था। परिवार को संभालने में गांव के लोगों और रिश्तेदारों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही थी।
बहनें गश खाकर गिरीं
इस दौरान प्रदीप की मां व पत्नी की मार्मिक गुहार ने हर किसी का दिल चीरकर रख दिया। प्रदीप की बहनें कई बार गश खाकर गिरीं। परिजनों को तिरंगे से लिपटी पार्थिव देह के पास तो ले जाया गया, लेकिन ताबूत को खोलकर नहीं दिखाया गया। खुद केन्द्रीय मंत्री सत्यपाल की आंखें शहीद के बेटे, बहन व पत्नी को सांत्वना देते समय नम हो गई।
अमित का सिर्फ चेहरा दिखाया गया
शहीद अमित की पार्थिव देह दर्शनार्थ रखी गई। इस दौरान सीआरपीएफ के जवानों ने ताबूत के ऊपरी हिस्से को खोल रखा था। इससे जाबांज अमित का चेहरा दिख रहा था। अमित का शव देखकर पिता सोहनलाल और मां उर्मिला बेहोश हो गई। भाई अर्जुन व प्रमोद भी खुद पर काबू नहीं रख पाए। बहन मीनाक्षी की हालत भी खराब थी।
हर आंख में आंसू
बनत में जांबाज प्रदीप के घर के बाहर यह मार्मिक दृश्य देखकर हर कोई रो पड़ा। सब चाहते थे कि शहीद प्रदीप का पूरा परिवार अपने जांबाज का आखिरी दीदार कर ले, लेकिन सीआरपीएफ के साथ आए अधिकारियों ने ऐसा नहीं करने की मार्मिक अपील की। शहीद प्रदीप का पार्थिव शरीर 6.50 बजे पहुंचा था। इसके बाद ही पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था। परिवार को संभालने में गांव के लोगों और रिश्तेदारों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही थी।
बहनें गश खाकर गिरीं
इस दौरान प्रदीप की मां व पत्नी की मार्मिक गुहार ने हर किसी का दिल चीरकर रख दिया। प्रदीप की बहनें कई बार गश खाकर गिरीं। परिजनों को तिरंगे से लिपटी पार्थिव देह के पास तो ले जाया गया, लेकिन ताबूत को खोलकर नहीं दिखाया गया। खुद केन्द्रीय मंत्री सत्यपाल की आंखें शहीद के बेटे, बहन व पत्नी को सांत्वना देते समय नम हो गई।
अमित का सिर्फ चेहरा दिखाया गया
शहीद अमित की पार्थिव देह दर्शनार्थ रखी गई। इस दौरान सीआरपीएफ के जवानों ने ताबूत के ऊपरी हिस्से को खोल रखा था। इससे जाबांज अमित का चेहरा दिख रहा था। अमित का शव देखकर पिता सोहनलाल और मां उर्मिला बेहोश हो गई। भाई अर्जुन व प्रमोद भी खुद पर काबू नहीं रख पाए। बहन मीनाक्षी की हालत भी खराब थी।
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